अाेपिनियन पाेस्ट ।
जज बीएच लोया केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस एक बार फिर से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग को आगे बढ़ाने में जुटी है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में विपक्षी नेताओं ने महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंपा। मीटिंग के बाद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने मीटिंग के दौरान 5 आधार देते हुए महाभियोग के प्रस्ताव की मंजूरी मांगी है। हमने महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस वाइस-प्रेजिडेंट को सौंप दिया है और उनसे प्रस्ताव पेश करने की मंजूरी देने की मांग की है।
कांग्रेस के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर एनसीपी, सीपीआई, एसपी, बीएसपी और मुस्लिम लीग ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इसे लेकर कांग्रेस ने विपक्षी दलों की मीटिंग भी बुलाई थी, लेकिन तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके और बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी ने इस बैठक से ही किनारा कर लिया। यही नहीं, प्रस्ताव के नोटिस पर साइन करने वाली समाजवादी पार्टी भी मीटिंग से दूर ही रही। रिपोर्ट्स के मुताबिक आरजेडी विपक्षी दलों की बैठक में तो शामिल नहीं हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि उसने भी महाभियोग का समर्थन करने की बात कही है।
ये गिनाए 5 कारण
– विपक्ष का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को मीडिया में आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी।
– चीफ जस्टिस के प्रशासनिक फैसलों को लेकर थी खासी नाराजगी।
– मीडिया में आने वाले चार जज बताना चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ सही नहीं चल रहा है।
– पिछले तीन महीने में कुछ नहीं बदला। चीफ जस्टिस ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।
– चीफ जस्टिस निष्पक्षता के लिए जाने जाएं। जज लोया और प्रसाद इंस्टिट्यूट को लेकर विवाद हुआ।
कांग्रेस ने कहा, 50 की जरूरत हमारे पास 71 सांसद
कांग्रेस ने कहा है कि ‘प्रस्ताव को पेश किए जाने के लिए 50 सांसदों की संख्या जरूरी होती है और हमने 71 सांसदों के हस्ताक्षर वाला नोटिस सौंपा है। यही नहीं, हमने लिखित रूप से यह भी कहा कि इनमें से 7 सांसद जल्दी ही रिटायर हो जाएंगे, इन्हें न भी गिना जाए तो भी प्रस्ताव के लिए जरूरी संख्या हमारे पास है। आजाद ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि उपराष्ट्रपति इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे।’