हैमबर्ग (जर्मनी)।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स देशों से कहा है कि जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर लागू हो जाने से भारत एक मार्केट बन जाएगा और हमारे फैसले से दुनियाभर में आर्थिक परिस्थितियां बेहतर होंगी और व्यापार में आसानी होगी। दुनिया को ब्रिक्स लीडरशिप की जरूरत है। भारत क्लाइमेट एग्रीमेंट को एक अच्छी भावना के साथ लागू करेगा। एडवांस आर्थिक विकास के लिए एक साथ आए ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत और चीन के लिए मोदी का संबोधन काफी मायने रखता है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच पिछले कुछ दिनों से जो तनातनी चल रही है, उसे खत्म कराने में ब्रिक्स की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इस समूह के देशों के प्रतिनिधियों की बैठक जर्मनी के हैमबर्ग में 7 जुलाई को हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान होगी। इसके बाद 27 और 28 जुलाई को चीन में पांचों देशों के एनएसए की भी बैठक होगी।
उन्नीस देशों और यूरोपीय संघ के संगठन को ग्रुप ऑफ 20 कहा जाता है। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनिशया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका इस समूह के सदस्य हैं। जर्मनी के हैमबर्ग शहर में जी20 शिखर सम्मेलन औपचारिक तौर पर शुरू हो गया है।
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाया और उनका जी20 सम्मेलन में बतौर मेजबान स्वागत किया। इसके साथ ही ट्रंप, पुतिन और चीनी राष्ट्रपति से भी एंजेला मर्केल ने मुलाकात की। इससे पहले ब्रिक्स देशों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा और प्रोटेक्शनिज्म का सवाल उठाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच देशों के नेताओं के साथ बैठक में ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी बनाने पर जोर दिया और ब्रिक्स देशों के बीच पीपुल टू पीपुल कॉन्टैक्ट बढ़ाने की बात की। काले धन पर उन्होंने कहा कि ब्लैकमनी के सेफ हैवेन और आतंक की फंडिंग के खिलाफ एक्शन की जरूरत है। अपने भाषण के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी बधाई दी।
सिक्किम में सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय मुलाकात नहीं होगी। इस बार के जी-20 सम्मेलन की थीम ‘शेपिंग एन इंटर-कनेक्टेड वर्ल्ड’ रखी गई है। सम्मेलन में मुक्त और खुला व्यापार, पलायन, सतत विकास और वैश्विक स्थिरता पर चर्चा होने की उम्मीद है।