महिला पहलवान साक्षी मलिक के 58 किग्रा भारवर्ग फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतने के साथ ही रियो ओलंपिक में भारत के लिए 11 दिनों से जारी पदक का सूखा खत्म हो गया। रियो ओलिंपिक में भारत की ओर से पदक जीतने वाली वह न सिर्फ पहली खिलाड़ी बनी बल्कि किसी भी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान भी बन गई। इस जीत के साथ साक्षी ओलंपिक पदक हासिल करने वाली चौथी भारतीय महिला खिलाड़ी भी बनी। इससे पहले वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी, मुक्केबाज मैरी कॉम और बैंडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने ओलंपिक में पदक हासिल किए हैं।
उम्मीद बाकी
दूसरी महिला पहलवान विनेश फोगट अगर अपने मुकाबले के दौरान चोटिल न हुई होती तो रियो में महिला कुश्ती में एक और पदक तय था। शुरुआत से फोगट ने जिस चुस्ती फुर्ती का परिचय देते हुए प्रदर्शन किया उससे लग रहा था कि वह कोई न कोई पदक जरूर जीतेंगी। अब एक और महिला पहलवान बबीता कुमारी से पदक की आस है। उनका मुकाबला गुरुवार को ही है। वहीं बैंडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने भी अब तक जिस तरह का प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई है उससे लग रहा है कि एक पदक पक्का है। उनका सेमीफाइनल मुकाबला भी गुरुवार को ही। पीवी सिंधू सेमीफाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा से भिड़ेंगी। सिंधू की विश्व रैंकिंग 10 हैं वहीं नोजोमी छठे नंबर की खिलाड़ी हैं। रियो ओलंपिक में सिंधू का सफर शानदार रहा है। वो सेमीफाइनल तक कोई मैच नहीं हारी हैं।
पुरुषों से आगे महिलाएं
रियो ओलंपिक में भारतीय महिलाओं का अब तक सफर पुरुषों के मुकाबले कहीं बेहतर रहा है। दीपा कर्माकर ने जिमनास्टिक में चौथा स्थान हासिल कर ओलंपिक के जिमनास्टिक स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी। वह कांस्य पदक से मामूली अंतर से चूक गई। एक बड़ी बात यह भी है कि जिम्नास्टिक की सभी पांच क्वॉलिफिकेशन सबडिवीजन स्पर्धा के समापन के बाद दीपा वॉल्ट में आठवें स्थान पर रहीं, जो फाइनल में क्वालिफाई करने के लिए आखिरी स्थान था। इस स्थान से खुद को चौथे नंबर तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं था। इसी तरह टेनिस में सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी मिक्स्ड डबल्स में चौथे स्थान पर रही।
जहां तक पुरुष एथलीटों की बात है तो उनसे सबसे ज्यादा उम्मीद शूटिंग और कुश्ती से थी। शूटिंग में तो अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग और जीतू राय जैसे एथलीटों का सफर खत्म हो चुका है मगर कुश्ती में अभी उम्मीद बाकी है। कुश्ती में जहां योगेश्वर दत्त से उम्मीद है वहीं नरसिंह यादव का भविष्य वाडा के फैसले पर निर्भर करेगा। इन दोनों पहलवानों का मुकाबला शुक्रवार को है।
जब ओलंपिक शुरू हुआ था तो हम उम्मीदों से भरे हुए थे। हमारा 118 सदस्यीय दल वहां गया था। भारत को उम्मीद थी कि खिलाड़ी पुराने सभी रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए इस ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक लेकर आएंगे। लेकिन जैसे जैसे दिन बीते भारत की झोली बिल्कुल खाली थी। 12वें दिन की शुरुआत में भी हमारे हाथ खाली थे। साक्षी मलिक अपनी बाउट हार चुकी थी। विनेश फोगट पहला मुकाबला जीतकर, घायल होने की वजह से बाहर हो चुकी थी। लेकिन इसी बीच खबर आई कि साक्षी जिस रूसी खिलाड़ी कोबलोवा झोलोबोवा वालेरिया से हारी थीं वह फाइनल में पहुंच गई थीं। इसके बाद नियम के मुताबिक साक्षी को रेपचेस के लिए खेलना था और इसी ने उनके कांस्य जीतने के रास्ते को खोल दिया। दूसरे दौर के रेपेचेज मुकाबले में साक्षी ने दो मुकाबले जीतते हुए तीसरे बाउट में किर्गिस्तान की पहलवान को पटखनी दी।
साक्षी की जीत ने जहां देश को खुश किया वहीं रियो ओलंपिक में देश की महिला खिलाड़ियों के दमखम से भी परिचय कराया। दीपा कर्माकर, विनेश फोगट और सानिया मिर्जा भले मेडल जीतने से चूक गई हों लेकिन उनका असाधारण खेल नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यहां विनेश फोगट का खासतौर से जिक्र करना इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि उन्होंने 48 किग्रा वर्ग के प्री-क्वार्टर फाइनल में रोमानिया की एलिना एमिलिया को 5.01 मिनट में 11-0 के अंतर से पराजित किया। विनेश की चीते सी फुर्ती इस बाउट में जिसने भी देखी, हैरान रह गया। क्वार्टर फाइनल में विनेश चीन की सुन यानान के खिलाफ 1-0 से आगे थी। तभी पहले राउंड के तीसरे मिनट में सुन ने उठाकर विनेश को पटका और इसी दौरान विनेश के दाएं पैर में बुरी तरह चोट लगी। सुन को इस दांव पर 2 अंक मिले थे। विनेश की चोट बहुत ज्यादा गंभीर थी और मैट पर काफी देर तक उनका उपचार चलता रहा और उन्हें स्ट्रैचर पर बाहर ले जाया गया। युनान को 2-1 से विजयी घोषित किया गया।