पाकिस्तान में सजायाफ्ता भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को लेकर सोमवार को इंटरनेशनल कोर्ट अॉफ जस्टिस में सुनवाई शुरू हो गई। नीदरलैंड्स के हेग में इंटरनेशनल कोर्ट में भारत ने अपना पक्ष रखते हुए आशंका जताई कि उसे डर है कि मामले की सुनवाई पूरी होने से पहले ही पाकिस्तान जाधव को सजा दे सकता है। भारत का पक्ष रखते हुए एडवोकेट हरीश साल्वे ने इंटरनेशनल कोर्ट से कहा कि जाधव को ये भी नहीं बताया गया है कि उसके खिलाफ आरोप क्या हैं? ये मानवाधिकार और न्याय के नियमों के खिलाफ है। इससे दुनिया में गलत संदेश जाएगा।
मालूम हो कि पाकिस्तान ने जाधव को जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ भारत ने 8 मई को इंटरनेशनल कोर्ट में याचिका दायर कर जाधव के लिए इंसाफ मांगा था। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तत्काल फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। अब दोनों पक्षों की ओर से दलील दी जा रही है। जस्टिस अब्राहम की अध्यक्षता वाली 11 जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। जस्टिस अब्राहम ने भारत और पाकिस्तान की दलीलें पढ़कर सुनाईं। अब्राहम ने कहा- “पाकिस्तान सरकार ने कुलभूषण सुधीर जाधव पर आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को मौका दिया है कि वो अपनी दलीलें पेश करें। भारत ने अपील की है कि जाधव पर लगाए गए आरोप गलत हैं।”
अब्राहम ने साफ किया कि जाधव की सुनवाई वियना कन्वेंशन के आधार पर होगी। दोनों पक्षों को दलीलें देने के लिए 90-90 मिनट का वक्त दिया गया। भारत की तरफ से सबसे पहले विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी दीपक मित्तल ने दलील दी। फिर वीडी शर्मा और बाद में हरीश साल्वे ने केस की अर्जेंसी पर अपनी दलील रखीं। इंटरनेशनल कोर्ट में भारत का पक्ष रखने के लिए पांच सदस्यीय टीम हेग गई है।
जाधव बेकसूर
भारत की तरफ से सबसे पहले दीपक मित्तल ने कहा- “जाधव को गलत तरीके से पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया। बार-बार कूटनीतिक आग्रह के बाद भी भारतीय अधिकारियों को जाधव से मिलने नहीं दिया गया। एक बेकसूर भारतीय को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया है। यह सभ्य दुनिया में गैरकानूनी है। जाधव के मां-बाप बुजुर्ग हैं। उसे पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।”
केस मिलिट्री कोर्ट में क्यों चला
मित्तल ने कहा- “जाधव को सिर्फ इकबालिया बयान के आधार पर फांसी की सजा सुनाई गई। अगर वह दोषी था तो उसका केस मिलिट्री कोर्ट में क्यों चलाया गया। भारत को इस सुनवाई पर ही आपत्ति है। उसे अपने बचाव के लिए वकील भी मुहैया नहीं कराया गया।” उन्होंने कहा- “भारत सरकार ने 27 अप्रैल को पाकिस्तान के पीएम को दखल देने के लिए भी पत्र लिखा था, लेकिन इसका भी जवाब नहीं दिया गया। पाकिस्तान में मिलिट्री कोर्ट की ओर से फांसी की सजा देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पाक सेना के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने ही वहां 18 लोगों को सजा-ए-मौत दी गई।”
जाधव को फांसी की सजा वियना कन्वेंशन का उल्लंघन
वीडी शर्मा ने अपनी दलील में कहा- “जाधव की फांसी 1963 के वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि कोई भी देश जो दूसरे देश के आरोपी को गिरफ्तार करता है, उसे मानवीय आधार पर वकील मुहैया कराया जाना जरूरी होता है। ये किसी भी देश के जस्टिस एडमिनिस्ट्रेशन के लिए भी जरूरी है। पाकिस्तान को भी यही करना था। लेकिन, उसने मार्च 2016 के बाद से अब तक भारत को जाधव के मामले में कानूनी सलाह की अनुमति नहीं। इसलिए, कोर्ट से अपील है कि वो पाकिस्तान को जाधव को वकील मुहैया कराने का आदेश दे।
वहीं हरीश साल्वे ने कहा- “मेरे लिए गौरव की बात है कि इस मुद्दे पर मैं एक बार फिर अपने देश का पक्ष रख रहा हूं। ये बहुत जरूरी मामला है। शुक्रगुजार हूं कि इंटरनेशनल कोर्ट ने इसकी सुनवाई इसी आधार पर की। यह साफतौर पर वियना कन्वेंशन के खिलाफ है। इसलिए हम कोर्ट से राहत की उम्मीद करते हैं। भारत का एक नागरिक जाधव 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया। मार्च 2017 में उसे पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी। भारत कहना चाहता है कि यह मानवाधिकार और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के खिलाफ है।” साल्वे ने दलील दी कि इस मामले में पाकिस्तान ने सभी तरह के कानूनों का उल्लंघन किया। ऐसे तीन मामले हैं जब इस कोर्ट ने वियना कन्वेंशन के उल्लंघन पर संबंधित देश को तलब किया और इंसाफ किया। भारत ने अपना पक्ष मजबूत रखने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट के ही तीन फैसलों का जिक्र किया।
पाकिस्तान को फिक्र नहीं मानवाधिकार की
साल्वे ने कहा- “पाकिस्तान ने इस मामले में अब तक किसी तरह का संवाद नहीं किया। पाकिस्तान मामले को लेकर पहले से अपनी राय बना चुका है। इसलिए उसे बचाव के लिए वकील भी मुहैया नहीं कराया गया। ऐसा दुनिया के किसी भी सभ्य देश में नहीं होता। जाधव की मां की अपील पर भी कोई जवाब नहीं दिया गया। पाकिस्तान मानवाधिकार को भी हवा में उड़ा देता है। जाधव के माता-पिता की वीजा एप्लीकेशन भी पेंडिंग है। यानी हर अपील को पाकिस्तान ने किसी न किसी तरह खारिज कर दिया। ऐेसा कैसे हो सकता है कि किसी आरोपी को किसी तरह की कोई सुविधा न दी जाए। खासतौर पर न्याय के मामले में। इसके बाद भी पाकिस्तान कहता है कि जाधव के मामले में कोई गलती नहीं हुई। उसे इतनी जल्दी क्यों है?”
साल्वे ने अपनी दलील में कहा- “18 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान की सेना ने कहा था कि जाधव पाकिस्तान में अशांति फैलाना चाहता था। जाधव के खिलाफ इसके सबूत हैं। सवाल ये है कि अगर सबूत थे तो दुनिया के सामने क्यों नहीं लाए गए। सच्चाई ये है कि जाधव को ईरान से किडनैप कर लाया गया। उनकी गिरफ्तारी पाकिस्तान से दिखाई गई। चूंकि दोनों देशों के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। इसलिए, बिना किसी ट्रायल के उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई।”
साल्वे ने कहा- “जाधव को जिस इकबालिया बयान (टेप) पर सजा सुनाई गई उससे छेड़छाड़ हुई। इसकी फोरेंसिक जांच में पुष्टि हो चुकी है। भारत चाहता है कि कोर्ट पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट के आदेश को रद्द करे। भारत ने जो याचिक दायर की है वो वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 पर आधारित है। वियना कन्वेंशन के आधार पर ही भारत और पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला मानने के लिए बाध्य हैं। भारत को तो जाधव के खिलाफ लगाए गए आरोपों की कॉपी तक नहीं मिली। हमें शक है कि सुनवाई हुई भी या नहीं। अगर इतने ही सबूत थे और आरोप भी इतने ही गंभीर थे तो फिर छुपाया क्यों गया? अगर पाकिस्तान के पास इतने ही सबूत थे तो उसने किसी तरह की सफाई कूटनीतिक या सरकार के स्तर पर क्यों नहीं दी? ये साफ तौर पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन नहीं तो और क्या है? “