ISIS की हैवानियत का शिकार होने वाली नादिया मुराद को यूनाइटेड नेशन ने गुडविल एम्बेस्डर चुना है। वो ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में वकालत की पहल करेंगी और ट्रैफिकिंग का शिकार हुए लोगों की स्थिति को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाएंगी। नादिया ने आईएस के चंगुल में रहकर सेक्स स्लेव की जिंदगी गुजारी और बच निकलने में कामयाब हुईं।
नादिया मुराद बासे ताहा को 19 साल की उम्र में ISIS आतंकी अपने साथ उठा ले गए थे और तीन महीने तक वो आईएस आतंकियों के चंगुल में रही थीं। कैद के दौरान वो लगातार ISIS आतंकियों के टॉर्चर और दुष्कर्म का शिकार हुई। आईएस के चंगुल से छूटने के बाद वो जर्मनी पहुंची थीं।
15 सदस्यों की काउंसिल के सामने नादिया ने बताया था, ”ISIS के आतंकियों ने अगस्त 2014 में इराक के एक गांव से मुझे अपने कब्जे में लिया था। मेरे सामने ही मेरे भाई और पिता को मार दिया गया। वो एक बस में मुझे अपने कब्जे वाले मोसुल शहर लेकर गए। पूरे रास्ते उन्होंने मेरे साथ बदसलूकी की। मैंने रो-चिल्लाकर उनसे रहम की भीख मांगी, लेकिन इसके बदले उन्होंने मुझे जमकर पीटा।” नादिया ने बताया कि कुछ दिनों बाद उसे एक आतंकी के हवाले कर दिया गया। जो रोज उसे अपनी हवस का शिकार बनाता। नादिया ने जब भागने की कोशिश की, तो गार्ड ने उसे पकड़ लिया। उस रात नादिया को बहुत मारा पीटा गया और कपड़े उतारकर उसे गार्ड्स के हवाले कर दिया गया। उस रात वो तब तक रेप का शिकार हुई, जब तक वो बेहोश नहीं हो गई।”
नादिया ने उस खौफनाक वक्त को याद करते हुए बताया था कि उसे पूरे तीन महीने एक सेक्स स्लेव की तरह रखा गया। नादिया के मुताबिक, औरतों और लड़कियों की जिंदगी खराब करने के लिए आतंकी रेप को अपना सबसे बड़ा हथियार मानते हैं। ताकि महिलाएं फिर कभी भी पहले की तरह सामान्य जिंदगी न जी सकें।