विशेष संवाददाता
चंडीगढ़ । केंद्र में आरक्षण और अन्य मांगों को लेकर 19 जिलों में जाटों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी है। रोहतक का जसिया गांव आंदोलन का मुख्य केंद्र है, इस वजह से वहां आरएएफ और पुलिस की एक कंपनी तैनात है। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने साफ कह दिया है कि अगर सरकार उनकी सभी मांगों को मान लेगी तो आंदोलन तत्काल खत्म कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि पूरे हरियाणा में अलर्ट जारी किया गया है। राज्य के 19 जिलों में धारा 144 लगा दी गई है। सभी जिलों के एसपी और पुलिस के आला अफसर फील्ड में और धरना स्थलों के आस-पास चक्कर लगा कर जा रहे हैं। लेकिन फिर भी प्रदर्शनकारी रेल ट्रैक तक पहुच गए।
हिसार में जाट मय्यड़ गांव के पास हाइवे या रेलवे ट्रैक के किनारे धरना देने पर अड़े रहे। फिर उन्होंने रेलवे ट्रैक के पास धरना शुरू कर दिया। कैथल में जाटों ने देवबन कैंची गांव में धरना देना शुरू किया। चर्चा है कि अगर अगले एक दो दिनों में सरकार ने धरना खत्म नहीं कराया तो हालात फिर पिछली बार जैसे हो सकते है । दूसरी और बागपत की जाट महासभा ने जाट आरक्षण समिति के आंदोलन को समर्थन दिया है ।
रोहतक में धरने पर जाट
सरकार इस बार कोई लापरवाही बरतने के मूड में नहीं है। इसलिए सोशल मीडिया पर पूरी नजर बनाए हुए है। सीएम खट्टर का कहना है कि सरकार पूरे आंदोलन के मद्देनजर इंतजाम पूरे कर लिए हैं। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन अपनी सीमा को तोड़ने की कोशिश की तो सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
सीएम ने बताया कि केंद्र सरकार से 55 अर्धसैनिक बलों की कंपनियां मांगी गईं। जिनमें से 37 हरियाणा में पहुंच गई हैं। जरूरत पड़ी तो और भी कंपनियां मंगवाई जा सकती हैं। साथ में उन्होंने ये भी कहा कि धरना दे रहे जाट संगठन अगर सरकार से बात करना चाहते हैं तो उनके लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं।
जाटों की ये हैं मांगें
केंद्र और राज्य में जाटों को आरक्षण दिया जाए।
फरवरी 2016 के आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवार वालों और घायलों को मुआवजा दिया जाए।
मारे गए लोगों के आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाए।
दर्ज किए गए मुकदमे वापस लिए जाएं और जेलों में बंद लोगों को रिहाई दी जाए।
दोषी अफसरों पर कार्रवाई की जाए।
सांसद राजकुमार सैनी की स्पीच की जांच करने के बाद उनकी संसद से मेंबरशिप रद्द की जाए।
जींद के नरवाना में भारी संख्या में पुलिस और अर्द्ध सैनिक बलों के जवान तैनात हैं। जींद में जाट आंदोलनकारी इक्कीस गांव में धरना दे रहे हैं। चंडीगढ़-हिसार हाइवे पर कड़ी निगरानी की जा रही है। जींद-पानीपत मार्ग से भी आंदोलनकारियों को दूर रखने के लिए पुलिस बल तैनात है।
फतेहाबाद में जाट आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठे लोगों को नोटिस जारी किया है। नोटिस के जरिये कहा गया है कि उनके धरने की वजह से प्रशासन का जितना भी नुकसान होगा, वह उनसे वसूल किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक ने धरने पर बैठे लोगों को आपराधिक याचिका नंबर 77 आफ 2007 का हवाला दिया है। कोर्ट आदेश के आधार पर पुलिस अधीक्षक ने धरने पर बैठे ढाणी गोपाल निवासी शीलू पुत्र राजाराम पूनियां, प्रवीण पुत्र कृष्ण नूनियां, नरेन्द्र पुत्र रामसिह फौजी नूनियां, विक्की पुत्र बलवन्त लम्बोरिया, महेश उर्फ महेशी पुत्र मनीराम बुडानियां वासियान ढाणी सांचला, प्रदीप नूनियां वासी ढाणी भोजराज, संजय पुत्र कृष्ण कस्वां, संदीप पुत्र उमराव लाम्बा, कन्हड़ी निवासी विक्रम पुत्र रामफल, तथा गाजूवाला निवासी नन्द पुत्र सुरता राम को पुलिस ने नोटिस दिए हैं।
फरीदाबाद धरनास्थल से कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है, इस पर यर्व खाप प्रवक्ता केएल हुड्डा ने तीन बजे मंच से ऐलान किया कि समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक का फोन आया है कि यदि फरीदाबाद के साथियों को नहीं छोड़ा गया तो एक घंटे में वे सड़कों पर होंगे। इसके बाद 3 बजकर 22 मिनट पर दोबारा मंच से ऐलान किया गया कि प्रशासन का फोन आया है और साथियों को छोड़ दिया गया है।
खाप प्रधानों पर यशपाल मलिक का तंज, आंदोलन के वक्त बन गए सरकार के प्रतिनिधी
इधर, अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्य्क्ष यशपाल मलिक ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जाट समुदाय अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर में शांति पूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार प्रदेश का माहौल खराब कर रही है।
मलिक ने कहा कि आंदोलनकारियों को परेशान किया जा रहा है। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन चलेगा। मलिक ने कहा कि प्रशासन ने फरीदाबाद का और कैथल का धरना रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन सरकार कामयाब नहीं हो पाई। कुछ लोग कभी खापों के प्रधान बन जाते हैं और कभी सरकार के प्रतिनिधि बन जाते हैं। 45 खापों में से कुछ खाप आंदोलन का समर्थन कर रही है।
यशपाल मलिक ने कहा कि सरकार जाटों की आवाज दबाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है। यदि सरकार हमारी मांगें नहीं मानेगी तो आंदोलन लंबा चलेगा। तीन फरवरी से दिल्ली के नरेला में भी आंदोलन शुरू होगा।