नई दिल्ली। विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक के आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट को सरकार ने पूर्व अनुमति श्रेणी में डाल दिया है। अब यह केंद्र की अनुमति के बिना विदेशी धन हासिल नहीं कर पाएगा।
गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना में कहा कि उपलब्ध रिकॉर्ड एवं खुफिया एजेंसियों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार यह पाया गया कि आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट ने विदेशी योगदान नियमन कानून (एफसीआरए) 2010 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
अधिसूचना में कहा गया, ”परिणामस्वरूप अब केंद्र सरकार एफसीआरए 2010 की धारा 11 उपधारा तीन में निहित अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह स्पष्ट करती है कि आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट कानून की धारा 12 और इसके नियमों के तहत कोई भी विदेशी योगदान लेने से पहले केंद्र सरकार से हर बार पूर्व अनुमति लेगी।”
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह कदम तब उठाया गया है जब विभिन्न जांचों में पाया गया कि नाइक एनजीओ के लिए आए धन का इस्तेमाल युवाओं को कथित रूप से कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रेरित करने में कर रहा था।
सरकार जाकिर नाइक के एक अन्य एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का एफसीआरए पंजीकरण रद्द किए जाने की प्रक्रिया में है। इस संबंध में संस्था को अंतिम कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है।