नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के मुख्यालय पर रविवार की सुबह हुए आतंकी हमले के बाद देश गुस्से में है और जवाबी हमले की मांग तेज हो गई है, क्योंकि इस आतंकी हमले में देश को बड़ी क्षति पहुंची है जिसमें 17 जवान शहीद हो गए हैं। शहीद जवानों में 15 बिहार रेजिमेंट के और 2 डोगरा रेजिमेंट के हैं वहीं 19 जवान ज़ख्मी हो गए हैं। हमले से कैसे निपटा जाए और इसका जवाब कैसे दिए जाए, इसे लेकर प्रधानमंत्री ने अपने घर पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंक्षी मनोहर पार्रिकर और दूसरे बड़े आला अधिकारियों के साथ बैठक की। उधर, भारतीय सेना एलओसी पर तोपों की तैनाती और अन्य ऑपरेशंस को मंजूरी देने की मांग कर सकती है। भारतीय सुरक्षा बलों का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि सरकार सीमा पार हमलों पर भी विचार करे। सुरक्षा बलों का मानना है कि सरकार को पाकिस्तानी सीमा के भीतर सीमित, लेकिन कड़े हमले करने की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए।
देशभर में उरी आतंकी हमले को लेकर गुस्सा है। यमुना नगर में जहां शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई, वहीं पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। पठानकोट और अमृतसर में उरी हमले के खिलाफ रोष दिखा। वहां भी पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगे। वाराणसी में लोगों ने शहीदों की आत्मा की शांति के लिए गंगा आरती की और दीप जलाकर श्रद्धांजलि दी। फर्रूखाबाद में भी लोगों ने जमकर की नारेबाजी की, वहीं लखनऊ में उरी आतंकी हमले पर पढ़ी गई विशेष नमाज। लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ जुलूस भी निकाला और उसका झंडा भी जलाया।
पीएम मोदी ने पाकिस्तान को हर मंच पर अलग-थलग करने का निर्देश दिया और कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत सबूत देगा। बैठक में सभी रणनीति पर चर्चा हुई। सेना प्रमुख ने पीएम को बताया कि सेना किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार है। बैठक में एनएसए, आईबी चीफ, डीजीएमओ, गृह सचिव और रक्षा सचिव मौजूद थे। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उरी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार का कहना है कि पाकिस्तान के हाथ के सबूत हैं और सोच समझकर कार्रवाई होगी। डीजीएमओ ले. जनरल रणबीर सिंह ने रविवार को कहा कि हमले को पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया है और इस संगठन के 12 आतंकी अब भी जम्मू-कश्मीर में घूम रहे हैं। उरी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने के साफ संकेत हैं।