तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन को लेकर जारी सस्पेंस पर से परदा हट गया है। उनकी मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी बल्कि गंभीर संक्रमण की वजह से उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। चेन्नई के जिस अपोलो अस्पताल में उनका इलाज हुआ था उसने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रिटेन के डॉक्टर रिचर्ड बेल भी मौजूद थे जिन्होंने अंतिम दिनों में जयललिता का इलाज किया था। उन्हें उनके इलाज के लिए विशेष रूप से लंदन से बुलाया गया था।
अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि निधन से एक दिन पहले पांच दिसंबर को अचानक कार्डियक अरेस्ट आने से एक हफ्ते पहले तक जयललिता इशारों से बात करने लगी थीं और अपनी बात समझाने की कोशिश भी करने लगी थीं। डॉक्टर रिचर्ड बेल ने कहा कि उनकी इस हालत का किसी को अंदाज़ा नहीं था। संक्रमण की वजह से उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। शुरुआती संक्रमण के बाद उनकी हालत सुधर रही थी। वह होश में थीं और इशारों में बात भी कर रही थीं। डॉ बेल ने कहा कि उनकी हालत इतनी ठीक थी कि जब मैंने उनसे कहा कि मैं यहां का इन्चार्ज हूं तो उन्होंने कहा ‘नहीं, इन्चार्ज मैं हूं।’डॉ. बेल ने कहा, “जयललिता का कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट नहीं हुआ था, कोई चीर-फाड़ नहीं हुई थी। उनका बेहतर इलाज किया गया लेकिन डायबिटीज की वजह से दिक्कतें बढ़ गईं। जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा तब डॉक्टर रमेश वहां मौजूद थे और उन्हें तुरंत होश में लाने की कोशिश की गई लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।”
बता दें कि जयललिता के अस्पताल में रहने के दौरान उनकी हालत को लेकर काफी कयास लगाए जा रहे थे। विरोधी पार्टियों समेत कई लोगों ने ऐसे आरोप लगाए गए कि जयललिता की असल हालत लोगों को बताई नहीं जा रही है। यह आरोप इसलिए भी लग रहे थे क्योंकि शशिकला समेत कुछ ही लोगों को जयललिता से मिलने की अनुमति थी। इसके अलावा दस्तावेज़ों पर लिए गए जयललिता के अंगूठे के निशान ने भी लोगों के मन में उनके जीवित रहने, न रहने को लेकर शक पैदा कर दिया था। डीएमके ने यह भी कहा था कि जयललिता की हालत अगर ठीक है तो उनकी एक तस्वीर खींचकर क्यों न जनता को दिखाई जाए। इन सवालों का जवाब देते हुए डॉक्टरों ने कहा कि ‘जो लोग बीमार होते हैं, उनकी तस्वीर लेना उचित नहीं है, इसे दख़लअंदाज़ी कहा जाता है।’ अस्पताल के डॉ. बालाजी ने कहा, “इलेक्शन कमीशन के फॉर्म पर जब जयललिता ने अंगूठा लगाया था, तब वो होश में थीं। मैंने उनसे बात की थी।”