अमलेंदु भूषण खां
सुर्खियों में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर 17 जुलाई को कथित भाजपा कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया और उनके साथ मारपीट की। यह घटना झारखंड की राजधानी रांची से लगभग चार सौ किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे पाकुड़ जिले में हुई। स्वामी अग्निवेश पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा में 195वें दमिन महोत्सव में शामिल होने पहुंचे थे। उनके साथ यह घटना तब हुई जब वे पाकुड़ के जिस होटल में ठहरे थे उससे निकल कर कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे थे। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम से एक दिन पहले अग्निवेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था जिसमें उन्होंने कथित तौर पर गोमांस खाने का समर्थन किया था जिससे लोग भड़क गए और अगले दिन उन पर हमला कर दिया। मुख्यमंत्री रघुबर दास ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में भाजपा के आठ स्थानीय नेताओं पर केस दर्ज किया गया है और 92 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
अग्निवेश पर हुए हमले के विरोध में रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर सांस्कृतिक व सामाजिक संगठनों ने नागरिक प्रतिवाद के तहत मानव शृंखला बनाई और पोस्टर के माध्यम से भाजपा सरकार पर निशाना साधा। झारखंड जन संस्कृति मंच, जनवादी लेखक संघ, इप्टा, संवाद, आॅल इंडिया पीपुल्स फोरम, आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच आदि के प्रतिनिधियों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि अग्निवेश पर हमले से यह साफ हो गया है कि झारखंड में सामाजिक कार्यकर्ता भी सुरक्षित नहीं हैं। इस हमले से यह बताने की कोशिश भी की गई है कि जो सरकार की नीतियों से सहमत नहीं हैं उन्हें निशाना बनाकर चुप कराया जाएगा।
वहीं स्वामी अग्निवेश ने प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुबर दास पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पूर्व नियोजित तरीके से भीड़ के जरिये उन पर हमला कराया। यह उनकी हत्या का प्रयास था। उन्होंने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है, ‘जिला प्रशासन के पास मेरे कार्यक्रम की जानकारी थी इसके बावजूद मुझे कोई सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई। मैंने रैली से 15 दिन पहले मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर बताया था कि मैं आदिवासियों के मुद्दों को उठाने वाला हूं। मैंने उनसे मिलने का समय देने का अनुरोध भी किया था ताकि मैं उनके साथ इन मुद्दों पर चर्चा कर सकूं। 16 जुलाई को मैं रांची स्थित सीएम दफ्तर के बाहर घंटों बैठा रहा लेकिन मुझे उनसे मिलने का समय नहीं मिला। राज्य सरकार अगर घटना की जांच कराना चाहती है तो उसे न्यायिक जांच का आदेश देना चाहिए ताकि दोषियों को दंड दिया जा सके। मुझे कोई उम्मीद नहीं है कि झारखंड सरकार या केंद्र सरकार घटना की निष्पक्ष जांच कराएगी।’ पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र प्रसाद बर्णवाल का कहना है कि जिले में स्वामी अग्निवेश के कार्यक्रम को लेकर उनके पास पहले से जानकारी नहीं थी।
अग्निवेश के अनुसार, ‘रैली के लिए लगभग एक लाख आदिवासी जमा हुए थे जिसका आयोजन प्रदेश की भाजपा सरकार में आदिवासियों की दुर्दशा पर चर्चा करने के लिए किया गया था। झारखंड सरकार ने कॉरपोरेट के साथ 210 समझौता-पत्रों पर दस्तखत किया है। इसके तहत आदिवासियों की साढ़े तीन लाख एकड़ जमीन इन बड़े व्यापारियों को बिना आदिवासियों की मर्जी के दे दी जाएगी। यह क्रोनी कैपिटलिज्म का बहुत बड़ा उदाहरण है जो इस वक्त झारखंड में हो रहा है।’ एक तरफ अग्निवेश पर हुए हमले की देशभर में चौतरफा निंदा हो रही थी तो वहीं झारखंड के शहरी विकास मंत्री सीपी सिंह ने अग्निवेश को फ्रॉड और विदेशी एजेंट बता कर मामले को और तूल दे दिया। सीपी सिंह ने कहा, ‘जहां तक मुझे पता है कि स्वामी अग्निवेश वह व्यक्ति है जो विदेशी चंदे पर जीता है। वह भगवा वस्त्र पहनकर सीधे-साधे भारतीयों के साथ छल करता है। वह फ्रॉड है कोई स्वामी नहीं। उन्होंने लोकप्रियता के लिए यह हमला खुद करवाया है।’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हमले को लेकर इशारों-इशारों में भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी वर्चस्व बनाए रखने के लिए घृणा और भय का सहारा लेती है। राहुल गांधी ने ट्विटर पर इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए स्वामी अग्निवेश की पिटाई की खबर वाला एक वीडियो भी शेयर किया। केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती भी अग्निवेश के साथ खड़ी दिख रही हैं। उन्होंने झारखंड सरकार से अनुरोध किया है कि स्वामी अग्निवेश पर हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं 17 जुलाई को स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले की निंदा करती हूं। वैचारिक सहिष्णुता भारत की मजबूती है। किसी नजरिये का जवाब दूसरे नजरिये से दिया जा सकता है, हथियारों से नहीं।’
79 साल के आर्य समाजी, बंधुआ मजदूरों के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले और राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड पा चुके स्वामी अग्निवेश के व्यक्तित्व को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। 1939 में दक्षिण भारतीय परिवार में जन्मे स्वामी अग्निवेश शिक्षक और वकील रहे हैं। उन्होंने एक राजनीतिक दल आर्य सभा की शुरुआत की थी और आपातकाल के बाद हरियाणा में बनी सरकार में मंत्री भी रहे। बंधुआ मजदूरी के खिलाफ उनकी दशकों की मुहिम जगजाहिर है। इसके लिए उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम का संगठन बनाया था। वे रूढ़िवादिता और जातिवाद के खिलाफ लड़ने का दावा करते हैं। पिछली सदी में अस्सी के दशक में उन्होंने मंदिरों में दलितों के प्रवेश पर रोक के खिलाफ भी आंदोलन चलाया था। हमेशा भगवा कपड़े पहनने वाले अग्निवेश देखने में साधु जैसे लगते हैं पर बातें राजनीतिकों की तरह करते हैं। यही वजह है कि वे हमेशा किसी न किसी तरह के विवाद में रहते हैं।
साल 2011 अन्ना आंदोलन के समय अरविंद केजरीवाल पर धन के गबन का लगाया उनका आरोप आज भी लोगों को याद है। बाद में उन्होंने यहां तक कह दिया कि केजरीवाल अन्ना हजारे की मौत चाहते थे। माओवादियों और सरकार के बीच बातचीत में उनकी मध्यस्थता और इसी दौरान प्रमुख माओवादी नेता चेरीकुरी राजकुमार उर्फ आजाद की कथित पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले को भी कुछ लोग फिर से याद कर रहे हैं। आर्य समाजी होने के कारण वे मूर्ति पूजा और धार्मिक कुरीतियों का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कई बार ऐसी बातें खुलकर कहीं जो धार्मिक लोगों को नागवार लगीं। अग्निवेश ने कुछ समय पहले कहा था कि धर्म के ठेकेदारों को राम और कृष्ण का अस्तित्व साबित करना चाहिए। उनका एक वीडियो कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वे कह रहे हैं कि गुफा में जमी बर्फ को शिवलिंग समझना सही नहीं है। अमरनाथ यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार बर्फ पर्याप्त न होने पर कृत्रिम तरीके से शिवलिंग बनाया गया था। ऐसा नहीं है कि उन्होंने पहली बार विवादास्पद बयान दिया है। लेकिन सोशल मीडिया के उभार से पहले की बात और थी, अब की बात और है।