नई दिल्ली। देशद्रोह के आरोपों में घिरे जेएनयू के छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 6 महीने की अंतरिम जमानत दे दी है। इससे पहले दोनों की जमानत याचिका पर बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई थी। दिल्ली पुलिस के वकील ने दोनों छात्रों की जमानत का विरोध किया था। कोर्ट ने आरोपी छात्रों के वकील और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और मामले की सुनवाई के लिए 18 मार्च तारीख तय की थी
गौरतलब है कि 9 फरवरी को जेएनयू में एक कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारेबाजी की गई थी। इसमें कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान समेत कुछ और छात्रों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था। कन्हैया को अंतरिम जमानत मिलने के बाद उमर और अनिर्बान को भी कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। दोनों की 23 फरवरी को गिरफ्तारी हुई थी। अदालत ने दोनों को 25 हजार के मुचलके पर जमानत दी है। दोनों को मुचलका राशि अलग-अलग जमा कराने होंगे।
कोर्ट ने कहा कि दोनों बिना इजाजत दिल्ली नहीं छोड़ेंगे और जांच अधिकारी के कहने पर जांच में शामिल होंगे। अदालत ने कहा कि दोनों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। लिहाजा, ऐसा नहीं लगता कि वो कानून से भाग जाएंगे। कन्हैया को जमानत दी गई, समानता के आधार पर इनको भी जमानत मिलनी चाहिए।
वहीं, पुलिस ने कहा है कि घटना के दिन के वीडियो को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट आने में वक्त लगेगा। दोनों आरोपी उच्च शिक्षित हैं, जिन्होंने दिल्ली विवि के प्रीमियर कॉलेज से ग्रेजुएशन की है। ये जेएनयू से एमफिल और एम.ए और पीएचडी कर रहे हैं। दोनों 5-6 साल से जेएनयू में रह रहे हैं। पुलिस ने दोनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
वहीं, एक खबर के मुताबिक जेएनयू के उच्च स्तरीय जांच पैनल ने देशद्रोह मामले में उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को वैमनस्यता, जातिगत या क्षेत्रीय भावनाएं भड़काने या छात्रों के बीच कटुता फैलाने का ‘दोषी’ पाया है। पांच सदस्यीय कमेटी ने विश्वविद्यालय के नियमों और अनुशासनात्मक नियमों के उल्लंघन का ‘ दोषी ‘ पाए जाने पर अनिर्बान और उमर समेत 21 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।