जेपी बिल्डर में फ्लैट मामले में कोर्ट ने बिल्डर को फटकार लगाते हुए कहा है कि स्वार्थी न बनें और खरीदारों की फिक्र करें। कोर्ट ने कहा कि हमें खरीदारों की फिक्र है। कोर्ट ने कंपनी को 2000 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है और इसके लिए 27 अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है।
वहीं जेपी के एमडी समेत डायरेक्टर्स के विदेश दौरे पर कोर्ट ने पाबंदी लगा दी है। विदेश जाने से पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देनी होगी। इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 नवंबर को होगी ।
हालांकि, कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स को आईआरपी की स्वीकृति से अपनी जमीन और दूसरी संपत्ति बेचकर दो हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था करने की अनुमति दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने चार सितंबर को इस कंपनी को दिवालिया घोषित करने के लिये नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने जेपी इन्फ्राटेक के दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस फैसले पर रोक लगाई थी, जो ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने 10 अगस्त को दिया था। इसके तहत कंपनी को दिवालिया श्रेणी में डालने की प्रक्रिया शुरू होनी थी।
अगस्त के दूसरे हफ्ते में जब जेपी के दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू होने की खबरें आईं तो हजारों फ्लैट खरीदारों ने जेपी की साइट्स पर पहुंचकर इसका भारी विरोध किया।
बता दें कि जेपी पर करीब 8 हजार करोड़ का कर्ज है। अकेले आईडीबीआई बैंक का ही 4 हजार करोड़ बकायेदारी है। NCLT का आदेश आईडीबीआई बैंक की याचिका के बाद ही आया था।