जस्टिस सीएस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया है। उन्हें कोर्ट ने 6 महीने कैद की सजा सुनाई है। इंडियन ज्यूडिशियरी सिस्टम के पहले जज होंगे, जिन्हें पद पर रहते हुए सजा सुनाई गई है। यह सजा सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को जस्टिस कर्णन को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने इसी के साथ मीडिया के लिए भी आदेश जारी किया है कि वह जस्टिस कर्णन का बयान नहीं चलाएगा।
इससे पहले सोमवार की शाम को कर्णन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस जेएस. खेहर और सुप्रीम कोर्ट के ही 7 जजों को सोमवार को पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट जस्टिस कर्णन से एडिमिनिस्ट्रेटिव और ज्युडिशियल पावर वापस ले चुका है। उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है। समन जारी होने के बाद भी जब वो पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ वारंट भी जारी किया गया था।
कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन की दिमागी जांच के ऑर्डर दिए थे। उन्होंने मेंटल हेल्थ चेक करने गई डॉक्टरों की टीम को ये कहते हुए लौटा दिया था कि वो दिमागी तौर पर पूरी तरह फिट और स्टेबल हैं।
जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी को पीएम को पत्र लिखकर 20 जजों पर करप्शन का आरोप लगाया था। इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और मद्रास हाईकोर्ट के मौजूदा जज शामिल हैं। जस्टिस कर्णन ने इस मामले की जांच कराने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को जस्टिस कर्णन को नोटिस जारी पूछा था कि क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। कोर्ट ने उन्हें मामले की सुनवाई होने तक सभी ज्यूडिशियल और एडमिनिस्ट्रिेटिव फाइलें कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लौटाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को 13 फरवरी को कोर्ट में पेश होने को कहा था, लेकिन वो हाजिर नहीं हुए। बता दें कि यह पहला केस था जब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के मौजूदा जज को अवमानना का नोटिस भेजा था। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली सात जजों की बेंच ने 10 मार्च को जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। उन्हें 31 मार्च को कोर्ट में हाजिर करने का ऑर्डर दिया गया था।