वीरेंद्र नाथ भट्ट।
अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई है कि कानपुर में गंगा नदी में पानी की कमी और प्रदूषण बढ़ने से शहर में नदी के पानी को पीले योग्य बनाने में मुश्किल हो रही है। प्रदूषण के कारण पानी में लाल कीड़ों की बढ़ती तादाद से कानपुर जल संस्थान परेशान है। इस मामले की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई चल रही है। कानपुर के टेनरी उद्योग और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोनों का कहना है कि टेनरी के कचरे के कारण प्रदूषण नहीं बढ़ रहा है। कानपुर के लोगों को उम्मीद है कि हाल के सुप्रीम कोर्ट के नदियों में प्रदूषण रोकने संबंधी कड़े निर्देश से उन्हें राहत अवश्य मिलेगी।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कानपुर के क्षेत्रीय अधिकारी मुहम्मद सिकंदर कहते हैं, ‘यह सही है कि आजकल गंगा जल में काफी मात्रा में लाल कीड़े आ रहे हैं लेकिन इसका कारण चमड़ा उद्योग से गंगा में होने वाला प्रदूषण नहीं है। कानपुर गंगा बैराज से आगे भैरो घाट से कानपुर जल संस्थान जल शोधन संयंत्र भेजता है।
गंगा बैराज में आजकल जल की मात्रा बहुत कम हो गई और भैरो घाट तक बड़ी मात्रा में जलकुंभी उग आई है, जिसके कारण बड़ी मात्रा में तमाम तरह के कीड़े मच्छर और लार्वा पनप रहे हैं और वही जल शोधन संयंत्र में पहुंच रहे हैं। जल संस्थान निरंतर नदी साफ रखने के लिए तल की ड्रेजिंग करता है लेकिन समस्या बनी हुई है।’
सिकंदर ने कहा कि आजकल पानी को पीने योग्य बनाने के लिए जल संस्थान को फिटकरी और अन्य केमिकल का अधिक मात्रा में प्रयोग करना पड़ रहा है और खर्च बढ़ गया है। इस कारण वे सारा ठीकरा नदी में प्रदूषण पर फोड़ रहे हैं। सिकंदर का कहना है कि कानपुर में चमड़े के 400 कारखाने हैं जिनमें केवल 260 चल रहे हैं।
80 टेनेरी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, सेंट्रल पालूशन कंट्रोल बोर्ड के आदेश पर बंद कराए जा चुके हैं। 260 टेनेरी का गंदा पानी पहले प्राइमरी ट्रीटमेंट प्लांट में जाता है। फिर कंबाइंड ट्रीटमेंट प्लांट में साफ करने की बाद नदी में डाला जाता है। प्राइमरी प्लांट टेनेरी मालिकों का कहना है कि कंबाइंड प्लांट उत्तर प्रदेश जल निगम संचालित करता है और टेनेरी मालिकों से उसका शुल्क वसूलता है।
सिकंदर मुहम्मद के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के हाल के निर्देश टेनेरी पर तो ज्यादा असर नहीं पड़़ेगा लेकिन शहर के नाले और कुछ होटलों का गंदा पानी सीधा नदी में गिर रहा है । कानपुर के एक चमड़़ा कारखाने के मालिक इमरान सिद्दिकी कहते हैं कि कानपुर में अब गंगा में पानी है ही नहीं और जो पानी दिखता है वो वास्तव में नालों से गिरने वाला मल मूत्र है।
गंगा के पानी में स्वयं को साफ करने की क्षमता है लेकिन पानी न होने के कारण और गंदे पानी के शुद्धिकरण की प्रिक्रिया समाप्त हो गई है । प्रदूषण के लिए टेनेरी जिम्मेदार नहीं है क्योंकि गंगा बैराज तो टेनेरी कारखानों से 25 किलोमीटर ऊपर या अपस्ट्रीम है और बैराज के निकट बिठुर में आज भी मुर्दे नदी में प्रवाहित किए जाते हैं जिससे प्रदूषण बढ़ता है।