कश्‍मीर में धमकाने वाले पोस्‍टरों का सच, बच्चों की आड़ में हिंसा  

श्रीनगर। कश्मीर में हिंसा अभी जारी है। आतंकी बुररहान वानी की मौत से गुस्साए अलगाववादी नेता और उनके समर्थक सड़कों पर उतरकर बच्चों की आड़ में हिंसा फैलाने का काम कर रहे हैं। वहीं, कश्मीर हिंसा में अब एक नया मामला सामने आया है। पूरे कश्मीर में लड़कियों से स्कूटी न चलाने देने की धमकी देते पोस्ट नजर आ रहे हैं। उनमें लिखा है, ”हम सभी लड़कियों से गुजारिश करते हैं कि स्कूटी न चलाएं। अगर हमने किसी लड़की को स्कूटी चलाते देख लिया तो स्कूटी और लड़की दोनों को जला देंगे।” साथ ही यह भी धमकी दी गई है कि अलगाववादियों के बंद के दौरान किसी ने दुकान खोली तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। अंग्रेजी और उर्दू में लिखे पोस्टर ‘संघबाज एसोसिएशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर’ के नाम से लगाए गए हैं। उसके साथ आगे लिखा है-कश्मीर में पत्थर फेंकने वालों का संगठन। उधर, अलगाववादियों ने 5 अगस्त तक बंद का आह्वान किया है। अगर कोई बुजुर्ग दुकान खोलता है तो 10 साल का बच्चा भी उसे थप्पड़ मार देता है। शादी में जा रही लड़कियों को रोककर बच्चे उनके कपड़ों पर सवाल उठाते हैं।

पुलिस पोस्टर लगाने वालों की तलाश कर रही है। लोगों से पुलिस ने अपील की है कि परेशान न हों। हम सुरक्षा की गारंटी लेते हैं। जो स्कूटी पर जाएंगी, हम उनका खास तौर पर ध्यान रखेंगे। इस बीच, कश्मीर में 23वें दिन भी प्रदर्शन जारी रहा। सीएम महबूबा मुफ्ती सुबह महिला कॉलेज श्रीनगर में बनाए गए सीईटी के एक्जाम सेंटर का जायजा लेने पहुंचीं तो उन्हें स्टूडेंट्स के पेरेंट्स के विरोध का सामना करना पड़ा। अभिभावकों का कहना था कि आप यहां क्यों आईं, आपके आने से हल्ला मच सकता है और बच्चों का पेपर बिगड़ सकता है। इसके बाद सीएम वहां से लौट गईं।

छुट्‌टी का दिन होने से रविवार को बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए। पुलवामा, कुलगाम, शोपियां तथा श्रीनगर के कई इलाकों में कर्फ्यू जारी रखा गया। इसके बावजूद हजारों प्रदर्शनकारी सड़क पर आए और सुरक्षाबलों पर जमकर पथराव किया। पुलवामा की एक रैली में हिजबुल कमांडर आतंकी अबू दुजाना के देखे जाने की सूचना मिली। जब तक पुलिस वहां पहुंचती आतंकी भाग चुका था। बताया गया कि वह रैली का उत्साह बढ़ाने आया था। सोपोर में भी पथराव बाद बल प्रयोग करना पड़ा। सीएम महबूबा मुफ्ती ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि आज से 10 साल बाद हमारे बच्चों का क्या होगा? बिजनेसमैन और अफसर अपने बच्चों को बाहर भेज देते हैं। गरीब भी सब कुछ बेचकर पढ़ाई के लिए बच्चों को बाहर ही भेजना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि बच्चों को कोई तकलीफ न हो।

 

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