कोच्चि।
केरल की ‘निर्भया’ के हत्यारे को मौत की सजा सुना दी गई है। निहत्थी महिला जीशा के प्रति किया गया यह अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है जो 2012 में नई दिल्ली के निर्भया कांड की याद दिलाता है। केरल में पिछले साल कानून की 30 वर्षीय दलित छात्रा जीशा के बलात्कार और उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले में दोषी पाए गए अमीरुल इस्लाम को यहां की एक अदालत ने 14 दिसंबर को मौत की सजा सुना दी।
एर्नाकुलम की प्रधान सत्र अदालत के न्यायाधीश एन अनिल कुमार ने असम से यहां आए प्रवासी मजदूर इस्लाम को नजदीक के ही पेरुम्बावूर में कानून की छात्रा की हत्या करने के मामले में मौत की सजा सुनाई। इस्लाम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ए) के तहत दोषी पाया गया जिसके बाद उसे महिला के बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
अदालत ने सजा सुनाने को लेकर 13 दिसंबर को अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनी। बचाव पक्ष के वकील ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए आवेदन दाखिल किया था। उनकी दलील थी कि अभियुक्त सिर्फ अपनी मातृभाषा असमी समझता है और केरल पुलिस ने उसके साथ निष्पक्ष व्यवहार नहीं किया। बहरहाल, अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की ओर से दाखिल आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह आवेदन कानून के मुताबिक नहीं है।
इस्लाम पर 28 अप्रैल 2016 को पेरुम्बावूर में महिला का बलात्कार और हत्या करने का आरोप लगाया गया। पिछले वर्ष अप्रैल से शुरू हुए मुकदमे के दौरान 100 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला का उसके घर पर हत्या किए जाने से पहले नुकीले औजारों से बर्बर तरीके से उत्पीडऩ किया गया।
घटना के तुरंत बाद पेरुम्बावूर छोडऩे वाले इस्लाम को इस सनसनीखेज घटना के 50 दिन बाद पड़ोसी तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम से गिरफ्तार किया गया। इस मामले में 100 से अधिक पुलिसर्किमयों ने 1,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की।