देब दुलाल पहाड़ी।
नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के अवसर पर खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने कहा कि देश भर में 1.94 लाख छोटी एवं मध्यम परियोजनाएं स्थापित की गर्इं जिनमें 14.75 लाख लोगों को उनके घरों में ही रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए। आयोग ने कहा है कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत सरकार ग्रामीण उद्योग को प्रोत्साहन दे रही है।
रोजगार सृजन के लिए पीएमईजीपी सरकार की अग्रणी योजना है जिसमें खादी ग्रामोद्योग को प्रधान एजेंसी बनाया गया है। आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान उसके उत्पादों की रिकॉर्ड 52 हजार करोड़ रुपये की बिक्री हुई।
चेयरमैन विनय कुमार ने उम्मीद जताई कि 2017-18 में यह 65 हजार करोड़ रुपये के पार जाएगा। सक्सेना ने कहा कि नि:संदेह पारदर्शिता एवं दक्षता लाने और लाभार्थियों को राशि के वितरण में अनियमितता एवं दलाली पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम को डिजिटल करना प्रधानमंत्री मोदी का सपना था।
सक्सेना ने कहा कि आजादी के बाद से 2014 तक खादी ग्रामोद्योग की विकास दर का कभी दहाई अंकों में न जा पाना सचमुच दुखद है। उन्होंने कहा कि 65 साल की लंबी अवधि में इसकी सर्वाधिक वृद्धि दर महज आठ प्रतिशत रही। पिछले चार साल में खादी ग्रामोद्योग ने छोटे गांवों से लेकर बड़े शहरों तक में 1,93,818 छोटी एवं मध्यम परियोजनाएं लगाईं और 14,75,888 लोगों को उनके दरवाजे पर ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए।
अच्छी बात यह है कि पिछले दो-तीन वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने अचानक गति प्राप्त की है। 2004 और 2014 के बीच 10 वर्षों की अवधि में खादी और गांव उद्योग उत्पादों का औसत निर्यात 87.77 करोड़ रुपये था। लेकिन, जब सरकार ने इसे आर्थिक परिवर्तन के साधन के रूप में माना, वह तेजी से बढ़ गया। 2015 से फरवरी 2018 तक, खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का औसत निर्यात 133.28 प्रतिशत की भारी वृद्धि के साथ 2014.75 करोड़ रुपये हो गया।
इसी तरह खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों की विभागीय बिक्री आउटलेट द्वारा औसत बिक्री- जो कि 2004-14 के दौरान केवल 13.67 करोड़ रुपये थी – 128.24 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि के साथ 31.20 करोड़ रुपये हो गई।
केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दृष्टिकोण था कि यह अप्रत्याशित क्षेत्र सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक बन गया है। उन्होंने न केवल लोगों को खादी और ग्रामीण उद्योग उत्पादों को खरीदने की अपील की, बल्कि उन्होंने युवाओं के बीच ‘मेक इन इंडिया’ के लिए एक उन्माद बनाने के लिए सामने से नेतृत्व किया।’
सक्सेना ने कहा 2015 के बाद दो सालों में 375 नए खादी संस्थान स्थापित किए गए थे, जबकि 2004 और 2014 के बीच 10 साल की अवधि में स्थापित नए खादी संस्थानों की संख्या केवल 110 थी।
खादी की बिक्री मार्च 2018 के समाप्त हुए 2017-18 वित्तीय वर्ष के दौरान 24.71 प्रतिशत बढ़कर 2,503 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष में 2,007 करोड़ रुपये थी। 2004 से 2014 के दौरान कुल औसत खादी बिक्री 914.07 करोड़ रुपये थी, उसके बाद तीन साल में 1,828.3 करोड़ रुपये हो गई। यानी 2015 से 2018 के बीच 100 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई।