झारखंड
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर एनडीए ने जीत दर्ज कराई. महागठबंधन मात्र दो सीटों, राजमहल एवं सिंहभूम पर सिमट कर रह गया. बाकी 11 सीटों पर भाजपा और एक पर सहयोगी पार्टी आजसू जीती है. खूंटी सीट पर काफी कम अंतर से भाजपा उम्मीदवार एवं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा जीत हासिल कर सके. हालांकि, भाजपा ने जेएमएम का संथाल किला ध्वस्त कर दिया है. दुमका और गोड्डा पर भी भाजपा का कब्जा हो गया है. एक सीट सिर्फ राजमहल जेएमएम के खाते में गई है. दुमका में शिबू सोरेन को करारी हार मिली. वह यहां से आठ बार सांसद रहे. लेकिन, इस बार भाजपा के सुनील सोरेन ने उन्हें हरा दिया. भाजपा इस चुनाव में 2014 का प्रदर्शन दोहराने में सफल रही. 2014 में भी उसे सूबे में 12 सीटें मिली थीं. इस बार दो पूर्व मुख्यमंत्रियों एवं पार्टी प्रमुखों शिबू सोरेन और बाबू लाल मरांडी को हार का सामना करना पड़ा. मरांडी कोडरमा से हार गए. वहीं दो केंद्रीय मंत्रियों जयंत सिन्हा और सुदर्शन भगत को एक बार फिर जीत मिली. इस चुनाव परिणाम से भाजपा का झारखंड में जोश काफी बढ़ गया है और उसने अभी से झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. गौरतलब है कि अगले छह महीने के भीतर झारखंड विधानसभा का चुनाव होना है. भाजपा के लिए उत्साहजनक स्थिति यह भी है कि एनडीए गठबंधन ने राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से 63 पर बढ़त बनाई है. भाजपा लोकसभा चुनाव परिणाम को विधानसभा चुनाव में दोहराने की तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के मैनेजमेंट को भाजपा में काफी प्रशंसा मिल रही है. रघुवर दास ने लोकसभा चुनाव की तैयारी भी विधानसभावार की थी. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विजय संकल्प रैली से भाजपा के पक्ष में काफी सकारात्मक माहौल बना था. भारत सरकार की आयुष्मान, उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास सरीखी योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन से भी भाजपा को फायदा हुआ. किसान सम्मान निधि योजना की पहली किस्त समय से किसानों के खाते में पहुंची, जिससे उनका विश्वास जीतने में सरकार सफल रही. राज्य सरकार के स्तर से आधारभूत संरचना के क्षेत्र में किए गए कार्यों का भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला. सडक़, पानी व बिजली के क्षेत्र में हुए कार्यों को जनता से सराहा. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ स्तरीय टास्क पार्टी को सौंपे थे, जिन पर किए गए 90 प्रतिशत अमल ने भाजपा की जीत सुनिश्चित की.