भले ही आईपीएल के १२वें सीजन की थीम च्गेम बनाएगा नेमज् रही हो लेकिन इस थीम का असली रंग इंग्लैंड की मेजबानी में खेले जा रहे 12वें क्रिकेट विश्व कप में दिखाई देगा. 21वीं सदी में खेला जाने वाला ये ऐसा पहला वल्र्ड कप है जिसमें 19वीं सदी के दिग्गज क्रिकेटरों की छाप नहीं दिखाई देगी. इस बार सबकी नजरें तकरीबन एक दशक से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बल्ले से डंका बजाने वाले मॉर्डन ग्रेट्स (विराट कोहली, स्टीव स्मिथ, केन विलियमसन, जो रूट और डेविड वॉर्नर) पर होंगी. इन सभी के पास वल्र्ड कप में खेलने का अनुभव है. विराट कोहली (2011), स्टीव स्मिथ (2015) और डेविड वॉर्नर (2015) विश्व चैंपियन बनने वाली टीमों के सदस्य भी रह चुके हैं. लेकिन, ये खिलाड़ी चार साल में एक बार आयोजित होने वाले क्रिकेट के महाकुंभ में अपनी छाप नहीं छोड़ सके हैं जिसके लिए सचिन तेंदुलकर, रिकी पॉन्टिंग और कुमार संगकारा जैसे दिग्गजों को जाना जाता है. आइए जानते हैं क्या इंग्लैंड की सरजमीं पर खेल के मॉर्डन ग्रेट्स में शुमार विराट कोहली अपनी अमिट छाप छोडऩे में कामयाब हो पाएंगे?
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने पिछले कुछ सालों में ऐसे कारनामे किए हैं कि उनकी विश्व क्रिकेट में तूती बोलती है. क्रिकेट की तीनों फॉर्मेट्स में विराट ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया की सफलता में अहम योगदान दिया है. उनकी कप्तानी में भारतीय टीम सफलता का नया इतिहास लिख रही है. विराट की कप्तानी वाली भारतीय क्रिकेट टीम 30 मई से इंग्लैंड की मेजबानी में खेले जा रहे क्रिकेट विश्व कप में दुनिया की दिग्गज टीमों के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार है. ऐसे में टीम इंडिया की सफलता बहुत हद तक कप्तान विराट के बल्लेे की सफलता पर निर्भर करेगी. 30 वर्षीय विराट पिछले चार साल में दुनिया के हर कोने में अपना डंका बजाने में कामयाब रहे हैं. महज एक दशक लंबे इंटरनेशनल क्रिकेट करियर में वह 24 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड्स को लगातार चुनौती दे रहे हैं. कुछ मामलों में तो उन्होंने सचिन को पीछे भी छोड़ दिया है. ऐसे में कोहली के सामने इस बार विश्व कप में सचिन तेंदुलकर की तरह अमिट छाप छोडऩे की चुनौती है.
पिछले दो विश्व कप में रहा है औसत प्रदर्शन
साल 2011 में वल्र्ड कप डेब्यू करने वाले विराट तीसरी बार दुनिया के सबसे लोकप्रिय क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलने उतरे हैं. पिछले दो वल्र्ड कप में उनका प्रदर्शन औसत रहा था. 2011 में विश्व विजेता बनने वाली टीम इंडिया के सबसे युवा सदस्य कोहली ने 9 मैच की 9 पारियों में 1 बार नाबाद रहते हुए 35.25 की औसत और 82.21 के स्ट्राइक रेट से 282 रन बनाए थे, जिसमें एक शतक और एक अर्धशतक शामिल था. बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने नाबाद शतक (100*) जडक़र डेब्यू किया था. इसके बाद साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की मेजबानी में आयोजित 11वें एकदिवसीय वल्र्ड कप में धोनी की कमान वाली टीम इंडिया सेमीफाइनल तक पहुंची थी, जहां वह कंगारू चुनौती से पार नहीं पा सकी. इस दौरान विराट ने 8 मैच की 8 पारियों में 2 बार नाबाद रहते हुए 50 की औसत और 81.55 की स्ट्राइक रेट से 305 रन बनाए थे. पूरे टूर्नामेंट में उनके बल्लेे से एक बड़ी पारी निकली थी. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में शतक (107) जड़ा था. इसके बाद उनके बल्लेे की चमक फीकी पड़ गई थी.
किंग ऑफ चेज का मिला है खिताब
एकदिवसीय क्रिकेट में विराट कोहली ने सफलता का एक अलग ही अध्याय लिखा है. विराट वनडे क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. अब तक खेले 227 वनडे मैचों की 219 पारियों में 37 बार नाबाद रहते हुए 59.57 की औसत और 92.96 के स्ट्राइक रेट से वो 10,843 रन बना चुके हैं. इस दौरान उनके बल्ले से 41 शतक और 49 अर्धशतक निकले हैं. उन्होंने किंग ऑफ चेज के रूप में भी जाना जाता है. जिस शानदार अंदाज में विराट रनों का पीछा करते हैं वैसा आजतक और कोई खिलाड़ी नहीं कर सका. रनों का पीछा करते हुए विराट अलग ही रंग और ढंग में नजर आते हैं.
खुद को देते हैं चुनौती
विराट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वो हर बार अपने सेट किए बेंचमार्क को चुनौती देते हैं और उसमें सफल होते हैं. इसी वजह से क्रिकेट की बाइबल कही जीने वाली विजडन पत्रिका ने उन्हें लगातार तीन बार साल का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर घोषित किया. इसके अलावा साल 2018 में विराट को आईसीसी ने साल का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट और वनडे क्रिकेटर चुना. एक साल बाद विराट इन पुरस्कारों की दौड़ में एक कदम और आगे निकल गए. इस बार सर्वश्रेष्ठ वनडे और टेस्ट क्रिकेटर के पुरस्कार के साथ सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी पर भी उन्होंने कब्जा कर लिया और ये उपलब्धि हासिल करने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर बन गए.
आईसीसी टूर्नामेंट में है शानदार रिकॉर्ड
कुल मिलाकर देखें तो विराट का आईसीसी टूर्नामेंट्स में शानदार रिकॉर्ड है. आईसीसी की एकदिवसीय प्रतियोगिताओं में विराट 29 पारियों में 55.80 के शानदार औसत और 86.5 के स्ट्राइक रेट से 1116 रन बना चुके हैं, जिसमें 2 शतक और 6 अर्धशतक शामिल हैं. इसके बावजूद विराट वल्र्ड कप में वो दबंगई नहीं दिखा सके हैं जिसके लिए उन्हें जाना जाता है.
विश्व कप में सचिन बनाम विराट
प्रशंसकों को इस बार विराट से कुछ उस तरह के प्रदर्शन की आशा है जैसा सचिन तेंदुलकर ने विश्व कप जीत की चाह में 6 बार किया. 1996 और 2003 में सचिन टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे. 1996 में सचिन ने 523 और 2003 में 673 रन बनाए. 1996 में उनकी शानदार बल्लेबाजी की बदौलत टीम सेमीफाइनल और 2003 में फाइनल तक पहुंची. सचिन दुर्भाग्यशाली रहे और दोनों ही बार खिताब के इतना करीब पहुंचकर भी टीम इंडिया को विश्व चैंपियन नहीं बना सके. सचिन ने 1992 से 2011 तक 6 बार वल्र्ड कप में हिस्सा लिया. सचिन ने इस दौरान 45 मैच खेले जिसकी 44 पारियों में 4 बार नाबाद रहते हुए 56.95 की औसत और 88.98 के स्ट्राइक रेट से 2278 रन बनाए हैं, जिसमें 6 शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैं. सचिन के नाम वल्र्ड कप में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. वो इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन, सबसे ज्यादा शतक, सबसे ज्यादा अर्धशतक जडऩे का रिकॉर्ड दर्ज है. इसके अलावा उन्होंने सबसे ज्यादा 9 बार मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी अपने नाम किया, जबकि विराट विश्व कप में अब तक केवल एक बार मैन ऑफ द मैच बन सके हैं.
2018-2019 में किया है शानदार प्रदर्शन
साल 2017 में उन्होंने 26 वनडे मैचों की 26 पारियों में 76 की औसत से 1,460 रन बनाए. 2018 में उन्होंने 14 मैच की 14 पारियों में 133.55 की औसत से कुल 1202 रन बनाए. यही सिलसिला साल 2019 में भी जारी है. इस साल अब तक खेले 11 वनडे मैचों की 11 पारियों में विराट 55.54 की औसत से 611 रन बना चुके हैं. भले ही आईपीएल 12 में उनका बल्ला जमकर नहीं चला इसके बावजूद वो 14 मैच में 464 रन बनाने में सफल हुए. लेकिन विश्व कप में उनके अपने रंग में लौट आने की पूरी संभावना है. यदि कैप्टन कोहली इस बार विश्व कप में अपने बल्ले का जौहर दिखाने में कामयाब रहे तो उनकी कप्तानी में टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनने से कोई नहीं रोक सकता.