निशा शर्मा।
हिमाचल की राजधानी शिमला से करीब 60 किलोमीटर दूर कोटखाई जिले में 16 साल की एक बच्ची के साथ स्कूल से लौटते समय अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद शांत पहाड़ों में अशांति का वो दौर चला जिसने राज्य की सियासत को हिलाकर रख दिया। हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। पहाड़ों में ऐसा पहली बार हुआ जब इतनी बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन कर रहे थे और सड़कों पर उतर कर इंसाफ की गुहार लगा रहे थे। मामले के तूल पकड़ने के बाद हिमाचल हाई कोर्ट ने इस मामले और इससे संबंधित एक आरोपी की हिरासत में मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जिसके बाद मामले में सीबीआई ने गुरुवार को हाइकोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट सौंप दी। इस दौरान सीबीआई ने कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा, लेकिन खंडपीठ ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि यह मामला जन भावनाओं से जुड़ा हुआ है और सीबीआई इसमें ढील बरत रही है।
ओपिनियन पोस्ट ने जब पीड़िता के परिवार से बात करनी चाही तो उसके पिता ने असमर्थता जाहिर की लेकिन उसकी बड़ी बहन खुल कर बोली। उसने बताया, ‘मेरी बहन की हत्या के कई दिनों तक पुलिस मामले को गोल-गोल ही घुमा रही थी। हमने जब भी पुलिस से केस के बारे में जानकारी लेनी चाही तो पुलिस यही कहती रही कि मामला हाई प्रोफाइल है जिसकी वजह से देर लग रही है। हालांकि उसके कुछ दिन बाद पुलिस ने दो नेपाली और दो गढ़वाली लोगों को हिरासत में ले लिया जिन्हें मुजरिम कहकर मीडिया के सामने पेश किया गया। बाद में उसमें से एक शख्स की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। तब हमने पुलिस से पूछा कि क्या यही वे लोग हैं जो हाई प्रोफाइल हैं और जिन्हें पकड़ना उनके लिए मुश्किल था। मामले को दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है लेकिन हम हिम्मत नहीं हारेंगे। मेरी बहन को जिस दरिंदगी से मारा गया, उन दरिंदों को भी उसी तरह की सजा हम चाहते हैं।’
कोटखाई पूरी तरह से पहाड़ी क्षेत्र है जहां कच्ची सड़कों के जरिये ही पक्के रास्तों तक पहुंचा जाता है। जहां गुड़िया (पीड़िता का काल्पनिक नाम) का शव मिला वह हलैला गांव है जो कोटखाई जिले के अंतर्गत आता है। यह इलाका देवदार के पेड़ों से घिरा ऐसा इलाका है जहां आमतौर पर लोग कम ही दिखते हैं। यह क्षेत्र सेब की खेती के लिए जाना जाता है। गुड़िया के पिता के पास थोड़ी सी जमीन है लेकिन बच्चों की शिक्षा के लिए वे दूसरों के सेब के बागों में काम करते हैं। उसके माता-पिता अनपढ़ हैं लेकिन वे चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़ें। गुड़िया की बड़ी बहन कहती हैं, ‘मेरे माता-पिता अनपढ़ हैं लेकिन उन्होंने हमें पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। हमारे घर के आस-पास कोई स्कूल नहीं है। हमें पढ़ने के लिए दूर जाना पड़ता है। मेरी बहन भी कोटखाई के स्कूल में पढ़ती थी। हमारे गांव से करीब छह बच्चे उस स्कूल में एक साथ पढ़ने जाते थे।’
इस क्षेत्र में ही नहीं ऊपरी हिमाचल में इस तरह की दरिंदगी की यह पहली घटना है जिसने सबको सकते में डाल दिया है। यह पूछने पर कि घने जंगल के रास्ते में आप लोगों ने कभी बच्चों को अकेले भेजने पर सतर्कता नहीं बरती तो गुड़िया की बड़ी बहन कहती हैं, ‘काश! हम उसे इंसानों से भी सतर्क रहने की सलाह देते। जहांसे मेरी बहन स्कूल जाती थी उस जंगल में जंगली जानवरों का थोड़ा डर जरूर था जिसे लेकर हम सब बच्चों को हिदायत देते रहते थे कि जानवरों से बच के रहना। लेकिन किसे पता था कि जानवरों से भी ज्यादा दरिंदगी इंसानों में है। हमने इससे पहले इस तरह की घटनाओं को कभी अपने इलाके या आस-पास की जगहों में होते नहीं देखा, इसलिए ऐसी सावधानी का ख्याल ही नहीं आया।’
नौ सदस्यों के परिवार में सात भाई-बहनों में गुड़िया छठे नंबर पर थी। उससे छोटा उसका भाई है। घर में सबकी लाडली और स्पोर्ट्स में भागीदारी रखने वाली गुड़िया वारदात के दिन भी अपने भाई के साथ स्कूल के लिए निकली थी। गुड़िया की बड़ी बहन उस दिन के बारे में बताती है, ‘जब उसकी बहन स्कूल के लिए निकली थी तो स्कूल में टूर्नामेंट चल रहे थे जिसके चलते उसने देरी की बात कही थी। साथ ही कहा था कि देर होने पर वह अपनी सहेली के घर या मामा के घर चली जाएगी क्योंकि उनका घर स्कूल के पास था। भाई ने भी ऐसा ही कहा था। लेकिन गुड़िया उसी दिन छुट्टी के बाद घर को निकली थी। निकलने से पहले उसने अपने भाई को बताया था कि वह घर जा रही है और उन बच्चों को भी जो उसके साथ उसके गांव से स्कूल जाते थे। उसने उन सबसे पूछा था कि अगर किसी को चलना है तो वह आ जाए, वह धीरे धीरे चलेगी। लेकिन वह उस दिन (चार जुलाई) घर नहीं पहुंची। घर में सबने सोचा कि वह मामा के या सहेली के घर चली गई होगी। लेकिन अगले दिन (पांच जुलाई) जब भाई घर आया तो उससे परिवार वालों ने गुड़िया के बारे में पूछा। भाई ने बताया कि वह तो पिछले दिन ही घर वापस आ गई थी। उसके बाद घर में हड़कंप मच गई। परिवार के सदस्य रात को उसे ढूंढने निकले लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। अगले दिन गांव के लोगों के साथ जब उसे ढूंढा गया तो हलैला गांव के जंगल में उसकी लाश निर्वस्त्र पड़ी हुई मिली।’
गुड़िया का शव मिलने की खबर पानी पर तेल की तरह फैला। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने जो फोटो लिए वह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। इस घटना से गुस्साए हजारों स्थानीय लोगों का हुजूम प्रदर्शन पर उतर आया और पुलिस पर आरोपियों को पकड़ने का दबाव बनाने लगा। मुख्य आरोपी राजिंदर सिंह सहित अन्य आरोपियों आशीष चौहान, सुभाष बिष्ट, दीपक कुमार, सूरत सिंह और लोकजन को गिरफ्तार कर लिया गया। कहा जा रहा है कि राजिंदर सिंह ने ही गुड़िया को अपनी गाड़ी में लिफ्ट दी थी।
गुड़िया की बड़ी बहन गुड़िया के लिफ्ट लेने की बात से इत्तेफाक नहीं रखती। वह कहती हैं, ‘मेरी बहन के बारे में झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि उसने लिफ्ट ली थी और वह ड्राईवर को जानती थी। मगर ऐसा कुछ भी नहीं था। गुड़िया कभी किसी से लिफ्ट नहीं लेती थी। हमारे गांव के एक अध्यापक उसके स्कूल में पढ़ाते थे जो गाड़ी लेकर जाते थे। वह उनसे भी कभी लिफ्ट नहीं लेती थी। फिर आप ही बताईये कि क्या कोई अकेली लड़की उस ट्रक में लिफ्ट लेगी जिसमें पहले से चार लोग बैठे हों। उसका अपहरण किया गया था। जिस दिन हमें उसकी बॉडी मिली उसके गले के निशान हरे थे। ऐसा लग रहा था कि उसे उसी दिन मार कर फेंका गया है।’
इस जघन्य मामले में पुलिस आधिकारियों की तरफ से कोई जिम्मेदाराना पहल नहीं होने के कारण जब राजनीतिक हुक्मरानों की तरफ सवाल उठने लगे तो अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिए गए। यही नहीं आनन-फानन में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया। राज्य के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी आरोपियों की फोटो को पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया फिर उसे हटा लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री भी प्रदर्शनकारियों के निशाने पर आ गए। यही नहीं इस घटना पर मुख्यमंत्री ने गैर जिम्मेदराना बयान देकर अपने खिलाफ पहले ही आफत मोल ले ली थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोटखाई के लोग स्मार्ट हो गए हैं। इस पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया ेते हुए कहा था कि हमारी बेटी के साथ ऐसा हुआ है तो हम स्मार्ट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं, अगर मुख्यमंत्री की बेटी के साथ ऐसा हुआ होता तो वो क्या करते?
गुड़िया की बड़ी बहन कहती हैं कि कोई पूछने नहीं आया। घटना के दस दिन बाद मुख्यमंत्री की पत्नी प्रतिभा सिंह हमारे घर जरूर आई थीं। लेकिन जब हमने उनके सामने पुलिस की गलत कार्रवाई से असहमति जताई और सीबीआई जांच की बात कही तो उन्होंने हमसे सीबीआई को केस न देने की बात कही। गुड़िया की बहन के इस आरोप पर ओपिनियन पोस्ट ने जब मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी से बात कर सच्चाई जानने की कोशिश की तो किसी से बात नहीं हो पाई। मामले के तूल पकड़ने के बाद चौपाल, जुब्बल, कोटखाई, शिमला व शिमला ग्रामीण, रामपुर, रोहड़ू, ठियोग व कुसुमटी के अलावा किन्नौर विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की साख दांव पर लगी नजर आ रही है।
वहीं विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस पर केस को दबाने का आरोप लगाया। धूमल ने कहा, ‘इस कांड के पीछे प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था है जिसके लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री को जल्द से जल्द इस्तीफा दे देना चाहिए। जब से राज्य में कांग्रेस आई है सरकार ने राज्य को नशेड़ियों का अड्डा बनाकर रख दिया है। अपराधी खुले में घूम रहे हैं और मासूम लोगों को जेल में डाला जा रहा है। हमने ही गृह मंत्री से मामले की सीबीआई जांच की मांग रखी थी ताकि पीड़िता के परिवार को इंसाफ मिल सके। हम पीड़िता के परिवार के साथ हैं। जिस तरह की मदद वे चाहेंगे हम करने के लिए तैयार हैं।’