भाजपा सांसद कीर्ति झा आजाद कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, लेकिन मुसीबतें उनका पीछा नहीं छोड़ रही हैं. भाजपा में अलग-थलग पडऩे के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और घर वापसी की बात कही. कांग्रेस से उनका पुराना नाता रहा है. उनके पिता भागवत झा आजाद वरिष्ठ कांग्रेसी थे और 1988-89 में वह मुख्यमंत्री भी रहे. खैर, जोर-शोर से कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति झा आजाद को अब चुनाव लडऩे के लिए अपनी सीट मिलने में दिक्कत आ रही है. दरअसल, आजाद बिहार की दरभंगा लोकसभा सीट से सांसद हैं, लेकिन महागठबंधन बनने की स्थिति में इस सीट पर कई दावेदार सामने आने वाले हैं. कांग्रेस इस सीट पर इसलिए दावा कर रही है, क्योंकि यहां से पिछली बार चुनाव जीतने वाले कीर्ति झा आजाद अब कांग्रेस में हैं.
यहां से राजद नेता एमए फात्मी जीतते रहे हैं, इसलिए राजद अपना दावा कर रही है, तो दूसरी ओर महागठबंधन में शामिल निषाद नेता मुकेश सहनी भी इस सीट पर दावा कर रहे हैं. दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में मल्लाह और मुस्लिम, दोनों ही वोटों के लिहाज से अहम हैं. ऐसे में कीर्ति झा आजाद को यहां से टिकट मिलना थोड़ा मुश्किल दिखाई पड़ रहा है. महागठबंधन में कांग्रेस के लिए कीर्ति मुसीबत बने हुए हैं. अगर कांग्रेस दरभंगा सीट पर अपना दावा बरकरार रखती है, तो राजद के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी और अगर कांग्रेस अपना दावा छोड़ देती है, तो एक जीते हुए सांसद को अपनी सीट छोडऩे में अलग तरह की समस्याएं सामने आ जाएंगी.