नई दिल्ली।
मजदूर दिवस पर देश भर में जगह-जगह रैलियां निकाली गईं। सभाओं में मजदूर नेताओं ने मजदूरों के हालात पर चिंता जताई तो जुलूस निकाल कर मजदूरों में एकता का प्रदर्शन किया गया। दिल्ली-एनसीआर में भी उत्साह के साथ मजदूर दिवस मनाया गया। इस साल हरियाणा सरकार ने लेबर डे न मनाने का फैसला किया है।
हिंद मजदूर सभा गौतमबुद्धनगर व संबंधित यूनियनों के तत्वावधान में सोमवार को नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में जुलूस निकाला गया। जुलूस का समापन सेक्टर-3 स्थित टी सीरीज पार्क में किया गया। इस मौके पर हजारों मजदूर उपस्थित थे। महामंत्री आरपी सिंह ने कहा कि मजदूरों की दशा सुधारने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सेक्टर 11 स्थित कंपनी के अग्निकांड में जलकर मरे मजदूरों को न तो कोई मुआवजा दिया गया है और न ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। उन्होंने घायलों को 10-10 लाख रुपये और मृतकों के परिवार को 20-20 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग की।
इस मौके पर रितेश कुमार झा, ललित कुमार शर्मा, तनुज सोलंकी, बालेश्वर सिंह, सीके मिश्रा, मो. सरफराज, मो. शमसाद, मो. मतिउल्ला खां, शत्रुघ्न आदि ने संबोधित किया।
उधर, बस्तर में दर्जनों लोकल व बाहरी श्रमिक दलाल सक्रिय हैं पर श्रम विभाग में एक का भी रजिस्ट्रेशन नहीं है। इन दलालों के द्वारा दरभा, लोहडीगुड़ा, बास्तानार, भानपुरी, बकावंड जनपदों समेत अन्य जिलों से बड़ी संख्या में युवक-युवतियों को अधिक पगार देकर हैदराबाद, बैंगलुरु, नागपुर, विजयवाड़ा आदि स्थानों पर ले जाया जाता है। वहां विभिन्न कंपनियों के मालिक उनका शोषण करते हैं। इस प्रकार के दलालों का एक संगठित गिरोह बस्तर में काम कर रहा है। इनके विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
बाल मजदूरी में यूपी, महाराष्ट्र और बिहार अव्वल
साल 2011 की जनगणना के अनुसार बाल मजदूरी के लिहाज से उत्तर प्रदेश बच्चों के लिए सबसे खतरनाक जगह है। यहां 8.96 लाख बाल मजदूरी कर रहे थे, जबकि दूसरे नंबर पर स्थित महाराष्ट्र में 4.96 लाख बच्चे बाल मजदूरी में लिप्त थे। बिहार इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है और यहां 4.51 लाख बच्चे बाल मजदूरी कर रहे थे।
बता दें कि एक मई को कई देशों में लेबर डे (श्रमिक दिवस) मनाया जाता है। इस दिन लगभग 80 देशों में मजदूरों की छुट्टी होती है। विश्व मजदूर दिवस अमेरिका के उन मजदूरों के नरसंहार की याद दिलाता है जो आठ घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहते थे। उसके लिए 1889 में 1 मई को श्रम संगठनों ने हड़ताल की।
4 मई को शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ। पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी, जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंहार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
भारत में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने आजादी से पहले 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था।