तबला-ए-सरताज पंडित लच्छू महाराज पंचतत्व में विलीन हो गए। वह 72 साल के थे। उनके परिजनों के मुताबिक एक निजी नर्सिग होम में उनका इलाज चल रहा था। गुरूवार रात करीब एक बजे उनका निधन हो गया। दुनिया में अग्रणी तबला वादकों में से एक पंडित लच्छू महाराज का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया गया।
पूरी दुनिया में लच्छू महाराज ने कई पेशेवर प्रस्तुतियां दी जिसकी वजह से पूरी दुनिया में उनके चाहने वाले थे। साथ ही उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी तबला बजाया था।
ठुमरी गायिका गिरिजा देवी ने लच्छू महाराज के निधन पर शोक जताया है और कहा है कि ऐसे कलाकार हमेशा पैदा नहीं होते। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पंडित लच्छू महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
लच्छू महाराज के निधन से बनारस के संगीत जगत से जुड़े कलाकारों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। लच्छू महाराज के वादन की विशेषता थी कि इनके पिता वासुदेव महाराज ने विभिन्न घरानों के तबला वादकों की देखभाल करते हुए उनके घरानों की शेष वंदिशो को इक्ट्ठा कर लच्छू महाराज को दिया।
लच्छू महाराज ने अपने कठिन अभ्यास के ज़रिये स्वतंत्र तबला वादक एवं संगत दोनों में ख्याति पाई । लच्छू महाराज गायन, वादन और नृत्य तीनों की संगत में निपुण थे। लच्छू महाराज एक स्वाभिमानी एवं पारंपरिक कलाकार थे, जिन्होंने छोटे मोटे स्वार्थों के लिए कोई भी गलत समझौते नहीं किये।
उनके जाने से एक निराले व्यक्तित्व का अभाव निरंतर खटकेगा। लच्छू महाराज प्रख्यात गायिका निर्मला देवी के भाई थे। इसलिए निर्मला के पुत्र फिल्मों के महानायक गोविंदा जो इनके भांजे हैं। बताया जा रहा है गोविंदा अपनी शूटिंग छोड़कर जल्द से जल्द बनारस पहुंचे। लच्छू महाराज ने फ्रांसीसी महिला टीना से शादी की थी। उनकी एक बेटी है। पत्नी और बेटी इस वक्त स्विट्जरलैंड में हैं।
लच्छू महाराज एक ऐसे कलाकार थे जो बनारसी मिजाजपन के मालिक थे। इस पीढ़ी के समर्थ कलाकारों में से एक स्तम्भ का जाना काशी की संगीत परम्परा को ऐसा नुकसान है जिसे भरना नामुमकिन लगता है।