पं. भानुप्रतापनारायण मिश्र
एक गांव में महिला अपने परिवार सहित गरीबी में दिन बिता रही थी। वह नित्य प्रति मां लक्ष्मी की भक्ति बिना आलस के करती थी। रुपया और संपत्ति आदि न होने के कारण उसका गांव में कोई सम्मान नहीं करता था।
अपने अपमान को चुपचाप सहती वह माता लक्ष्मी से अपने अपमान भरे जीवन को समाप्त करने की इच्छा व्यक्त करती। एक बार कार्तिक अमावस्या की रात को उसने माता लक्ष्मी की पूजा की और उनकी प्रसन्नता के लिए दीपक जलाया।
रात में उसने माता लक्ष्मी का नाम स्मरण किया। आधी रात के बाद जब लक्ष्मी जी अपने भक्तों से मिलने धरती पर आईं तो उस महिला की भक्ति भरी पूजा, उसके घर की स्वच्छता और समर्पण देखकर बहुत प्रसन्न हुईं।
उन्होंने उसके घर में ही रहने का निश्चय किया। लक्ष्मी जी के उसके घर में प्रवेश करते ही वह अपार धन संपदा की स्वामिनी हो गई। साथ ही उसको अद्भुत सुंदरता भी प्राप्त हुई। सुबह गांववालों ने जब गरीब महिला को अमीर और सुंदर बने देखा तब सब लोग उसकी प्रशंसा करने लगे।