ओपिनियन पोस्ट
चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा अदालत ने लालू पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस बीच लालू की सजा को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की प्रतिक्रयाएं भी सामने आने लगी हैं। सत्तारूढ़ जेडीयू और बीजेपी ने जहां अदालत के फैसले का स्वागत किया है वहीं आरजेडी ने कहा है कि इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने अदालत के इस फैसले पर खुशी जाहिर की। त्यागी ने कहा, ‘हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक फैसला साबित होगा।’ इस दौरान उन्होंने लालू का नाम लिए बगैर कहा कि यह एक चैप्टर का अंत है।
उधर, लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनके पिता को जमानत जरूर मिलेगी। तेज प्रताप ने कहा, ‘हमारा देश की न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है। हमें पूरी उम्मीद है कि लालू यादव को जमानत मिलेगी। हम धैर्य नहीं छोड़ेंगे।’
आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने कहा है कि इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे। झा ने कहा कि पार्टी के पास जो भी साक्ष्य हैं, उन्हें उच्च सदन में रखेंगे। वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जीवीएल जीवीएल नरसिम्हा राव ने भी इस फैसले पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस फैसले से देश में यह संदेश जाएगा कि अदालत से बड़ा कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में जो भी लिप्त है, उसे ऐसी सजा मिलनी ही चाहिए ताकि समाज में एक मजबूत संदेश जाए।
बता दें कि इस फैसले के बाद फिलहाल लालू को फिलहाल जमानत भी नहीं मिलेगी। इसके लिए उन्हें हाई कोर्ट जाना होगा। सीबीआई की विशेष अदालत ने देवघर कोषागार से अवैध तरीके से 89.27 लाख रुपये निकालने के मामले में यह सजा सुनाई है। विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए लालू समेत सभी 16 दोषियों को सजा सुनाई गई।
बता दें कि रांची की विशेष सीबीआई अदालत सज़ा के वक्त लालू यादव आज वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए जेल से ही पेश हुए। शुक्रवार को लालू प्रसाद को कम से कम सजा देने का आग्रह लालू के वकील ने अदालत किया था। उन्होंने कहा था कि लालू की उम्र 70 साल हो गई है। उन्हें कई तरह की बीमारियां हैं। उनके हार्ट का वाल्व बदला गया है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की भी शिकायत है। ऐसे में उन्हें कम से कम सजा मिलनी चाहिए।
लालू के वकील ने कहा था कि लालू 21 साल से इस मामले में मुकदमा झेल रहे हैं। जब जब कोर्ट ने बुलाया वह हाजिर हुए। ट्रायल में सहयोग किया। सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले का हवाला देकर कहा गया कि इतनी लंबी अवधि तक मुकदमा लड़ना सजा से कम नहीं है। ऐसे में उन्हें कम से कम सजा मिलनी चाहिए। अन्य आरोपियों की ओर से भी ऐसा ही आग्रह किया गया। यह भी बताया गया कि इसके पूर्व आरसी 20/ ए 96 के मामला चार करोड़ की अवैध निकासी का था। उसमें पांच साल की कैद मिली है। यह मामला मात्र 89 लाख रुपए का है। राशि कम है इस कारण सजा भी कम मिलनी चाहिए। आरके राणा , राजाराम जोशी, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद की ओर से भी कम से कम सजा देने का आग्रह अदालत से किया गया।
दो दोषियों को मिली सात साल की कैद
अदालत ने इस मामले के दो दोषियों पूर्व सांसद जगदीश शर्मा और आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को सात साल कैद और दस लाख का जुर्माना लगाया। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर इन्हें एक साल अतिरिक्त जेल में रहना होगा।
किन्हें कितनी सजा मिली
राजनीतिज्ञ
पूर्व सीएम लालू प्रसाद- साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
पूर्व सांसद जगदीश शर्मा- सात साल, 20 लाख जुर्माना
पूर्व मंत्री डॉ आरके राणा- साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
आईएएस अधिकारी
बेक जुलियस- साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
महेश प्रसाद -साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
आयुक्त फूलचंद सिंह- साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
जानिए मामले से जुड़ी 10 अहम बातें
1. कोर्ट ने 23 दिसंबर, 2017 को चारा घोटाले के एक मामले (देवघर कोषागार से फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी) में 22 आरोपियों में से पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र समेत 6 लोगों को बरी कर दिया था। लालू समेत 16 लोगों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, ध्रुव भगत, अजित चंद्र, विघा सागार को बरी कर दिया था।
2. मामले में लालू यादव समेत सभी दोषियों को तीन साल से ज्यादा की सज़ा सुनाई गई है इसलिए जमानत के लिए उन्हें हाईकोर्ट का रूख करना होगा। अगर तीन साल या उससे कम की सज़ा होती तो उन्हें रांची कोर्ट से ही जमानत मिल जाती।
3. 21 साल पुराने इस मामले में सीबीआई ने शुरु में 34 लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें 11 की मौत ट्रायल के दौरान हो गई। दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए और निर्णय के पूर्व ही अपना दोष स्वीकार कर लिया था। सीबीआई ने इस मामले में देवघर कोषागार से फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी करने का आरोप लगाया था। आपूर्तिकर्ताओं पर बिना सामान की आपूर्ति किए बिल देने और विभाग के अधिकारियों पर बिना जांच किए उसे पास करने का आरोप था। लालू प्रसाद पर गड़बड़ी की जानकारी होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाने का आरोप था।
4. लालू यादव चारा घोटाले में पांच केस का सामना कर रहे हैं।
5. जिस केस में सुनवाई हुई वह 1994 से 1996 के बीच देवघर जिला कोषागार से फर्वीवाड़े तरीके से निकाले गए 84.5 लाख रूपये से जुड़ा हुआ है।
6- विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मुकदमे में यह सजा सुनाई।
7- यह मामला वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से अवैध तरीके से रुपये की निकासी से संबंधित है। सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी, 64 ए, 1996 दर्ज किया था और लगभग 21 वर्षों बाद इस मामले में फैसला सुनाया गया।
8- इस मामले में कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से 11 की मौत हो चुकी है, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी। इसके बाद 22 आरोपी बच गए थे, जिनको लेकर आज फैसला सुनाया गया।
9- लालू प्रसाद प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल पांच मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे जिनमें चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्तूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने एवं चार वर्ष कैद की सजा सुनायी जा चुकी है। लालू के खिलाफ चारा घोटाले में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें आज उन्हें सजा सुनायी गयी है। इस आदेश के आने के बाद अब लालू आदतन अपराधी की श्रेणी में आ गये हैं।
10- इसके अलावा उनके खिलाफ रांची में डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी से जुड़ा आरसी 47 बटा 96, दुमका कोषागार से तीन करोड़, 97 लाख रुपये निकासी का आरसी 38 बटा 96 एवं चाईबासा कोषागार से अवैध रूप से 36 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा आरसी 68 बटा 96 के मुकदमे अभी चल रहे हैं जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है।