अभिषेक रंजन सिंह, नई दिल्ली।
बहुचर्चित चारा घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से राजद प्रमुख लालू प्रसाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं वहीं इस फैसले ने बिहार सरकार और महागठबंधन के भविष्य पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, चारा घोटाले की वजह से लालू प्रसाद की राजनीतिक भविष्य को अंधकारमय बना दिया है। सीबीआइ के मुताबिक चारा घोटाला एक हजार करोड़ का था और 1990 से 1997 के बीच इसे अंजाम दिया गया।
इस घोटाले से जुड़े एक मामले में लालू को कुछ वर्ष पूर्व जेल जाना पड़ा। अदालत ने उन्हें इस मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। फिलहाल वह जमानत पर हैं। चारा घोटाले के इस मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग गई। फिलहाल उनके संकट कम होने की बजाय बढते जा रहे हैं।
गौरतलब है कि झारखंड हाइकोर्ट ने उन्हें एक मामले में दोषी मानते हुए आपराधिक साजिश रचने समेत बाकी सारे मामलों से दोषमुक्त कर दिया था। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव पर आपराधिक साजिश रचने का मामला चलाने का आदेश सीबीआइ को दे दिया है। इतना ही नहीं, इस मामले को नौ महीनों के भीतर हल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद निश्चित रूप से बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है।
लालू प्रसाद पर आए इस कानूनी संकट की छाया बिहार की महागठबंधन सरकार पर पड़ना लाजिमी है। वैसे तो, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक साफ छवि के नेता है, लेकिन विधानसभा में स्पष्ट बहुमत न होने की वजह से उनकी पार्टी जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चलाने को विवश हैं।
लालू प्रसाद यादव पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का मामला ऐसे वक्त आया, जब उनके और उनके पुत्रों के खिलाफ कुछ और आरोप सुर्खियों में हैं। इतना ही नहीं, पिछले दिनों, जेल में बंद सीवान के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन से फोन पर उनकी बातचीत का खुलासा एक अंग्रेजी टीवी चैनल ने किया। शहाबुद्दीन को पार्टी में शामिल करने के कारण राजद को पहले ही काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
अब नए खुलासे से लालू और राजद की छवि और भी दागदार हो गई है। बाकी कसर पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान को नियमों की अनदेखी कर मिट्टी दिए जाने ने पूरी कर दी। बिहार की तर्ज पर, भाजपा को रोकने के लिए अगले लोकसभा चुनाव में सारे विपक्षी दलों को एकजुट कर महागठबंधन बनाने की कोशिशें शुरू हो गई थी और राष्ट्रपति चुनाव में इसके प्रयोग की सुगबुगाहट भी। पर लालू के खिलाफ अदालती फैसले ने विपक्षी एकता को नुकसान पहुंचा सकता है।