ओपिनियन पोस्ट ।
चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार गबन मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा हुई है । सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को सजा का ऐलान किया, लालू पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। चारा घोटाले का ये तीसरा मामला था, इससे पहले दो अन्य मामलों में भी लालू को सजा हो चुकी है. लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को भी पांच साल की सजा हुई है।
इससे पहले बुधवार सुबह सीबीआइ की विशेष लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 50 आरोपियों को दोषी करार दिया था। यह मामला चाईबासा कोषागार से 1992-93 में 33.67 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है। चाइबासा कोषागार से जिस वक्त अवैध निकासी हुई उस समय लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे। इसके पूर्व भी चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के एक मामले में लालू प्रसाद को पांच वर्ष की सजा हो चुकी है।
लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला के ही एक मामले में साढ़े तीन साल की सजा काट रहे हैं। वे फिलहाल रांची के होटवार जेल में हैं। अब चाइबासा कोषागार वाले मामले में भी उन्हें दोषी करार दिए जाने के बाद उनका बेल पर बाहर निकलना फिलहाल मुश्किल हो गया है। इस मामले में कोर्ट ने लालू के साथ पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र सहित कुल 50 लोगों को दोषी माना है, जबकि शेष छह को रिहा कर दिया है।
रांची स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में चारा घोटाले से संबंधित पांच मामले दर्ज हैं। दो मामलों में अब तक फैसला आ चुका है, जिनमें लालू प्रसाद को सजा हुई है। चारा घोटाले का एक मामला पटना स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में है जो बांका और भागलपुर कोषागार से हुई अवैध निकासी से संबंधित है।
बुधवार को जिस मामले में लालू व डॉ. जगन्नाथ मिश्र को दोषी करार दिया गया, उसपर इसी वर्ष 10 जनवरी को रांची स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने अपनी सुनवाई पूरी की थी और 24 जनवरी को फैसले की तारीख मुकर्रर की थी। चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और डॉ. जगन्नाथ मिश्र सहित 56 लोगों पर ट्रायल चला। झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती पर भी चाईबासा कोषागार मामले में ट्रायल चला है। कोषागार से अवैध निकासी के समय श्री चक्रवर्ती चाईबासा के उपायुक्त थे। इनमें लालू व डॉ. मिश्र सहित 50 लोग दोषी पाए गए हैं।