प्रियदर्शी रंजन
बिहार भाजपा के दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने 04 अप्रैल को लालू प्रसाद के बड़े बेटे और राज्य के पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। आरोप है कि मंत्री महोदय ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने निमार्णाधीन मॉल की मिट्टी को अपने ही विभाग के तहत आने वाले संजय गांधी जैविक उद्यान को 90 लाख में बेच दिया।
कई प्रकार के घोटालों की जन्मभूमि रही बिहार की धरती ने पहली बार मिट्टी घोटाला जैसा शब्द सुना। सुशील कुमार मोदी का यह बयान बिहार की राजनीति में एक नए बवंडर का संकेत है। बिहार की मीडिया और बिहार के लोगों के सोशल मीडिया एकाउंट में फिलहाल इस तरह की टिप्पणी आसानी से दिख रही है-‘बाप ने किया चारा घोटाला और बेटा ने किया मिट्टी घोटाला। लिहाजा लालू परिवार जमीन से जुड़ा नेता परिवार है।’
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पूरा का पूरा मामला लालू के रेल मंत्री रहते रेल मंत्रालय से जुड़ा है। साल 2008 में बिहार के ही मुंगेर से आने वाले जद यू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद पर आरोप लगाया था कि रेल मंत्री ने गलत तरीके से सुजाता होटल के मालिक हर्ष कोचर को रेलवे के रांची और पुरी का होटल हस्तांतरित किया है। बकौल राजीव रंजन सिंह हर्ष कोचर ने इसके बदले लालू प्रसाद के करीबी मित्र तत्कालीन राज्य सभा से राजद सांसद प्रेम चंद गुप्ता की डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को एक ही दिन में पटना के बेली रोड के किनारे आरपीएस मोड के पास करीब 2 एकड़ जमीन रजिस्ट्री की थी। डिलाइट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 20 जून 2014 को लालू के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव, तेज प्रताप यादव, बेटी चंदा यादव और रागिनी डायरेक्टर हो गए और प्रेमचंद गुप्ता का नाम हट गया। फिर नवंबर 2016 में इस कंपनी का नाम बदल कर लालू राबड़ी के नाम पर बनी कंपनी लारा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड एलएलपी कर दिया गया। फिर 14 फरवरी 2017 को इस कंपनी में से लालू के बेटियों चंदा यादव और रागिनी यादव का नाम हट गया और लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी का नाम जोड़ दिया गया। अब इस कंपनी के तीन डायरेक्टर हो गए। राबड़ी देवी, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव।
सुशील मोदी का आरोप है कि लालू प्रसाद ने अपने रेल मंत्री के पद का दुरुपयोग कर इस जमीन को प्राप्त किया है। फिलहाल इस पर 600 करोड़ की लागत से मॉल का निर्माण कराया जा रहा है। मॉल का निर्माण राजद के सुरसंड से आने वाले विधायक की कंपनी मेरीडियन कंसट्रक्श्न प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कराया जा रहा है। निर्माण के दौरान निकलने वाली मिट्टी को पटना के ही रुपसपुर निवासी बिरेन्द्र यादव की कंपनी एम एस इंटरप्राइजेज के हाथों बेचा गया और एम एस इंटरप्रइजेज से बिहार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन आने वाली संजय गांधी जैविक उद्यान ने करीब 90 लाख में मिट्टी खरीदने का एग्रीमेंट किया। हालांकि संजय गांधी जैविक उद्यान को मिट्टी खरीदने की कोई खास आवश्यकता नहीं थी लेकिन मंत्री महोदय की कंपनी और उनके लोगों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से पैदल यात्री पथ का निर्माण कराने के नाम पर मिट्टी की खरीद की जा रही है। सुशील मोदी का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव खुद के बारे गरीब का बेटा होने का दावा करते हैं। लिहाजा उनके पास इतनी संपत्ति कहां से आई कि वे 600 करोड़ की लागत से मॉल बनवाने लगे।
सुशील मोदी नीतीश कुमार के स्वच्छ सुशासन पर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि सरकार किसी खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने तेज प्रताप यादव को अविलंब मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।
सफाई और राजनीति का दौर
दरअसल, सुशील मोदी ने जिस घोटाले का जिक्र 04 अप्रैल को किया था उस घोटाले के बारे में सोशल मीडिया में कुछ दिन पहले से ही चर्चा शुरू थी। उन्होंने आरोप लगाकर खुद को मुद्दे के केंद्र में ला खड़ा किया और मामले को एक नई पहचान दी। 04 अप्रैल को ही लालू प्रसाद की सफाई मीडिया में हल्के तरीके से आने लगी और ऐसा कहा जाने लगा कि लालू पूरे मामले की जांच के लिए तैयार हैं। वहीं 08 अप्रैल को एक कार्यक्रम से निकलने के दौरान लालू प्रसाद ने मीडियाकर्मियों से इस मिट्टी घोटाले संबंधी सवाल के जवाब में यही कहा कि जल्द ही वे सुशील मोदी को ठासेंगे। फिलहाल अखबारी जगत के विद्वान इस ठासेंगे शब्द का अर्थ खोजने में व्यस्त हैं और किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं।
लालू के छोटे सुपुत्र तेजस्वी यादव जोकि बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री भी हैं, ने इस मामले पर चुप्पी तोड़ी है। उनका कहना है कि लालू परिवार सुशील मोदी पर मानहानि का केस करेगा। साथ ही तेजस्वी ने ट्वीट कर इस मामले को उछालने के लिए मीडिया पर भी आरोप मढ़ा और कहा कि उनकी बात को बिकाऊ मीडिया तवज्जो नहीं देती और उनके विरोधियों की बकवास को खूब जोर शोर से उछालती है। तेज प्रताप यादव जो कि लालू प्रसाद यादव के बड़े सुपुत्र हैं और बिहार सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय उन्हीं के अधीन है, ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। मॉल निर्माण में लगी कंपनी मेरीडियन कंस्ट्रक्शन के मालिक राजद विधायक अबू दोजाना ने भी सुशील मोदी पर मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी है।
हालांकि पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक नंद किशोर ने ओपिनियन पोस्ट से बात करते हुए सफाई दी है कि मिट्टी खरीद का संबंध मंत्री महोदय के मॉल से नहीं है। हालांकि इस बात को वे भी स्वीकार करते हैं कि उद्यान में एम एस इन्टरप्राइजेज की ओर से मिट्टी सप्लाई की जा रही है। निदेशक महोदय का कहना है कि इन कामों के लिए टेंडर करने की परंपरा इस विभाग में कभी भी नहीं रही है। लिहाजा बिना टेंडर किसी को काम देने का आरोप प्रचलित परंपरा के खिलाफ है।
जद यू अपने सहयोगी दल के नेता पर लगे आरोप को देखते हुए फूंक फूंक कर बात कर रही है। पार्टी का कोई भी बड़ा नेता कुछ भी बोलने से इंकार कर रहा है। पार्टी के प्रवक्ता विधानपार्षद नीरज कुमार ने सिर्फ इतना कहा कि मामले की जांच मुख्य सचिव के स्तर पर सरकार कर रही है। सुशासन नीतीश कुमार की पहचान है और हम इस पहचान पर कोई भी दाग लगने नहीं देंगे।
इन सब के बीच 03 अप्रैल की रात करीब 10 बजे लालू प्रसाद यादव नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पहुंचे थे। मुलाकात की वजह पूछने पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद देश के राजनीतिक हालात पर चर्चा करने के लिए नीतीश जी के पास गया था। लेकिन जानकारों का कहना है कि इसी मामले को मैनेज करने के लिए राजद सुप्रीमो मुख्यमंत्री से मिलने रात में गए थे।
सरकार ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी बिहार सरकार के मुख्य सचिव को दी है। लेकिन बिहार के विपक्षी दल इसे सरकार द्वारा मामले को दबाने की कोशिश मान रहे हैं। पूर्व विधायक भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल की मानें तो पूरे मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। साथ ही उन्होंने लालू प्रसाद के पास बेनामी संपत्ति होने का दावा किया है और मांग की है कि लालू की संपत्ति की जांच ईडी से भी कराई जाए। इनका कहना है कि पिछले डेढ़ दो साल में बिहार में कई घोटाले सामने आए हैं और उनकी जांच राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी से कराई जा रही है और सब का परिणाम औसतन शून्य है। हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान लालू के दोनों बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव की विधानसभा से सदस्यता रद्द किए जाने की मांग करते हैं। इनके मुताबिक लालू के दोनों बेटों ने चुनाव के वक्त आयोग के समक्ष दायर हलफनामे में खुद के डिलाइट कंपनी के डायरेक्टर होने की चर्चा नहीं की है जोकि कानूनन अपराध और फ्रॉड की श्रेणी में आता है। साथ ही इन्होंने मॉल निर्माण में लगी कंपनी के मालिक विधानसभा के राजद सदस्य अबू दोजाना की भी संपत्ति की जांच की मांग की है। दानिश रिजवान का आरोप है कि अबू दोजाना के माध्यम से चारा घोटाला का पैसा इस मॉल निर्माण में लगाया जा रहा है। बिहार में इस मिट्टी घोटाले के आलोक में फिलहाल राजद विरोधी दल का धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम बदस्तूर जारी है।
बिहार की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर पैनी नजर रखने वाले ए एन सिन्हा शोध संस्थान के निदेशक डॉ डी एम दिवाकर के मुताबिक लालू प्रसाद की छवि पर यह कोई पहला दाग नहीं है। इनकी राजनीतिक उड़ान के साथ इनके दामन पर दाग के चिन्ह भी गहराते रहे हैं। हालांकि बिना निष्पक्ष जांच किए किसी को भी दोषी ठहराना ये उचित नहीं मानते। दिवाकर के मुताबिक निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच होनी चाहिए और सीबीआई की निष्पक्षता संदिग्ध है। सोशल मीडिया का हवाला देते हुए दिवाकर कहते हैं कि भाजपा नेता सुशील मोदी के लड़के पर भी पटना में एक चर्च की जमीन पर गलत तरीके से मार्केट कांप्लेक्स निर्माण कराने का आरोप लग रहा है और इसकी भी जांच होनी चाहिए।
मामला चाहे जो भी है, अभी इस मुद्दे को कई सरकारी एजेंसियों की जांच के बीच से गुजरना होगा। साथ ही राजनीतिक बयान और राजनीतिक बहस का लंबा सफर तय करना भी अभी इस मुद्दे के लिए बाकी है। लेकिन इतना तो अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि 2017 में बिहार के राजनीतिक तापमान को मिट्टी घोटाला एक नई गर्मी प्रदान करेगा। अभी इस मामले में कई और अहम खुलासों का अनुमान लगाया जा रहा है।