नई दिल्ली।
लखनऊ, चेन्नई एवं गुवाहाटी हवाई अड्डों पर क्रमश: 2467 करोड़ रुपये, 1383 करोड़ रुपये एवं 12432 करोड़ रुपये की लागत से समेकित टर्मिनलों के उन्नयन एवं विस्तार के लिए मंजूरी दे दी गई है। मंजूरी बुधवार यानी 2 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गठित आर्थिक मामलों की समिति ने दी।
लखनऊ हवाई अड्डे के नए समेकित टर्मिनल के निर्माण में 16,292 वर्ग मीटर के साथ वर्तमान टर्मिनल भवन के साथ 88 हजार वर्ग मीटर का एक क्षेत्र होगा। वार्षिक क्षमता 2.6 मिलियन अंतरराष्ट्रीय एवं 11 मिलियन घरेलू यात्री ट्रैफिक को संचालित करने की होगी।
चेन्नई हवाई अड्डे की बात करें तो एक लाख 97 हजार वर्ग मीटर की माप के वर्तमान प्रस्ताव समेत प्रस्तावित टर्मिनल भवन का कुल निर्मित क्षेत्र 35 एमपीपीए संचालित करने की वार्षिक क्षमता के साथ तीन लाख 36 हजार वर्ग मीटर होगा। नए टर्मिनल भवन में गृह-4 स्टार रेटिंग अर्जित करने के उद्देश्य से हरित भवन की विशेषताएं शामिल होंगी।
इसी प्रकार गुवाहाटी हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन में 9 एमपीपीए की संयुक्त वार्षिक क्षमता को संचालित करने के लिए एक लाख दो हजार 500 वर्ग मीटर का क्षेत्र होगा। यह ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पर जोर के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश एवं पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा।
नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा है कि देश का विमानन क्षेत्र सालाना 28 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। अगले पांच साल में क्षमता विस्तार और नए हवाई अड्डों के विकास के लिए इस क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये का निवेश आ सकता है। मंत्रालय अगले 15 से 20 साल में एक अरब यात्रियों के सालाना लक्ष्य को लेकर चल रहा है।
केंद्र सरकार ने आम बजट 2018-19 में अवसंरचना क्षेत्र पर अधिक जोर दिया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (एनसीएपी) लेकर आई है, जो हमारे देश के सभी क्षेत्रों को मजबूत वायु संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक शुरुआती कदम होगा। इस नीति में पारिस्थितिक प्रणाली के सृजन की भी परिकल्पना की गई है।
लोगों के लिए क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) का सटीक नाम उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) रखा गया है। इसके जरिये किफायती लागत पर हवाई अड्डों को सरलता से जोड़ कर देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जाता है।
नवीन ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा नीति के तहत कई बड़े शहरों में कई हवाई अड्डों का निर्माण किए जाने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (जेवर), मोपा (गोवा), पुरंदर हवाई अड्डा (पुणे), भोगपुरम हवाई अड्डा (विशाखापत्तनम), धोलेरा हवाई अड्डा (अहमदाबाद), हीरासार हवाई अड्डा (राजकोट) के लिए अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
नए ग्रीन फील्ड हवाई अड्डों के विकास में 50 हजार करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय परिव्यय की उम्मीद की जाती है जिसे केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी मिल चुकी है। निजी क्षेत्र में भी दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद हवाई अड्डों के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से उन्नयन एवं विस्तार किए जाने की उम्मीद है।