रमेश कुमार ‘रिपु’
जबलपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 12 जून को दो टूक कह दिया कि प्रदेश में पार्टी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है इसलिए इस बार शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा नहीं होंगे। संगठन चुनाव लड़ेगा। आने वाला चुनाव कुशाभाऊ ठाकरे और राजमाता विजया राजे सिंधिया को समर्पित होगा। यह निर्णय उन्होंने वर्तमान राजनीतिक हालात और विपक्ष द्वारा बनाए जाने वाले चुनावी मुद्दों के आधार पर लिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को चुनावी चेहरा न बनाए जाने से प्रदेश भाजपा में खलबली मच गई। आनन-फानन में मुख्यमंत्री ने कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा कर दी। सरकार की इन घोषणाओं पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है, ‘मुख्यमंत्री चाहे जितनी घोषणाएं कर लें अब जनता उनकी घोषणाओं पर फिदा नहीं होने वाली। सभी जानते हैं कि वे केवल घोषणावीर मुुख्यमंत्री हैं।’
अबकी लड़ाई कठिन
जमीनी रिपोर्ट मिलने के बाद भाजपा अध्यक्ष को भी आभास हो गया है कि प्रदेश में पार्टी की हालत पतली है। स्थिति पर नजर रखने को वे लगातार तीन बार प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। वे मानते हैं कि इस बार लड़ाई कठिन है। ऐसे में वे सभी मुद्दे खत्म कर दिए जाएं जिसे विपक्ष चुनावी मुद्दा बना सकता है। उन्होेंने किसानों, व्यापारियों और आदिवासियों को खुश करने पर जोर दिया है। अभी तक 65 विधायकों के टिकट कटने की बात पार्टी में की जा रही थी लेकिन अमित शाह ने 135 विधानसभा सीटों पर नए चेहरे उतारने की बात कह कर विधायकों को सकते में डाल दिया है। शिवराज सिंह चौहान के नाम पर भाजपा ने 2008 और 2013 का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। लेकिन लगातार चार विधानसभा उपचुनावों में भाजपा की हार ने पार्टी को सकते में डाल दिया है। इसका अंदेशा पार्टी को पहले ही हो गया था कि प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर चल पड़ी है। इस पर नकेल लगाने की दिशा में पार्टी ने पहल की लेकिन भाजपा के ही वरिष्ठ नेता सदन से लेकर सड़क तक पार्टी की बखिया उधेड़ते रहे। शिवराज को भी इस बात का अहसास हो गया है कि प्रदेश में भाजपा के खिलाफ हवा है। तभी तो भोपाल में एक कार्यक्रम में उन्होंने यह कह कर सबको चौंका दिया था कि मेरी कुर्सी खाली है जो चाहे वह बैठ सकता है। इन दिनों प्रदेश भाजपा में यह भी चर्चा है कि चुनाव से पहले या तो शिवराज को हटा दिया जाए या फिर दो डिप्टी सीएम बनाकर दलितों और आदिवासियों को रिझाया जाए।
भाजपा नेताओं का जगह-जगह विरोध
जन आशीर्वाद यात्रा के लिए निकले भाजपा के विधायक, मंत्री और सांसदों को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा। प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद नंदकुमार सिंह चौहान बुरहानपुर के पतौड़ा गांव में केले की फसल खराब होने पर किसानों को सांत्वना देने पहुंचे तो उन्हें उनके विरोध का सामना करना पड़ा। इसी तरह शहडोल के सांसद ज्ञान सिंह को कोतमा के लोगों ने स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली को लेकर रोक लिया। वे पहली बार कोतमा में सभा करने जा रहे थे लेकिन स्थानीय लोगों ने कह दिया कि जब तक समस्या का निराकरण नहीं हो जाता सभा नहीं करने देंगे। मंडला के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ खमरिया में लोगों ने ईश्वरपुर से छीतापार सड़क निर्माण की मांग को लेकर नारेबाजी की और उन्हें घेर लिया। बड़ी मुश्किल से वे पुलिस की मदद से मंच तक पहुंचे और 10वीं तथा 12वीं के टॉपर्स को सम्मानित कर निकल गए। मुरैना के सांसद अनूप मिश्रा का गांव के लोगों ने ‘नहर नहीं तो वोट नहीं’ के नारे लगाकर विरोध किया। मिश्रा के समझाने पर भी लोग नहीं माने तो उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। प्रदेश के खाद्य मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे को विकास यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। नेपानगर के विधायक मंजू दादू को खकनार के बलड़ी गांव में पानी की समस्या से गुस्साए लोगों ने घेर लिया तो श्रम राज्य मंत्री बालकृष्ण पाटीदार को कुंडा नदी पर पुल बनाए जाने की मांग को लेकर लोगों ने घेरा। मंच पर जब वे बोल रहे थे कि काम में कुछ समय लगेगा तो लोग नाराज हो गए और उन्हें मंच से बोलने नहीं दिया।
अमित शाह ने मंगाई रिपोर्ट
भाजपा की विकास यात्रा में जनता के विरोध ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की चिंता बढ़ा दी है। जबलपुर दौरे पर आए शाह ने उन जगहों की जमीनी रिपोर्ट मांगी है जहां भाजपा के विधायकों, मंत्रियों और सांसदों का विरोध हुआ है। उन्होंने दो टूक कहा है कि विरोध का सामना करने वाले विधायकों, मंत्रियों और सांसदों की ग्राउंड रिपोर्ट गड़बड़ मिली तो उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। विरोध का सामना करने वाले पार्टी के ऐसे नेताओं की संख्या करीब दो दर्जन है। सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान चुनावी रणभूमि में उतरने से पहले महाकाल के दर्शन करेंगे। अमित शाह की मौजूदगी में 14 या 15 जुलाई से वे जन आशीर्वाद यात्रा पर निकलेंगे। अमित शाह ने सात बड़े नेताओं को चुनावी जवाबदारी दी है। इनमें नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, थावरचंद गहलोत, प्रभात झा, नरोत्तम मिश्रा, अजय प्रताप सिंह और प्रहलाद पटेल शामिल हैं। इन्हें चुनावी रणनीति तैयार करनी है और हर विधानसभा सीट के उम्मीदवारों को फाइनल करना है।
हारी सीटों पर फोकस
भाजपा हाईकमान का निर्देश है कि आगामी चुनाव में उन सीटों को जीतना है जिन सीटों को कांग्रेस लगातार जीतती आई है। यानी भाजपा के लिए जो कमजोर सीट है पहले उन्हें जीतने की स्थिति में लाकर खड़ा करना है। इस बात पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि यदि गोंडवाना पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है तो क्या स्थिति रहेगी। ऐसी स्थिति में पार्टी की क्या रणनीति रहेगी। सभी मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड पर एक बार फिर से सर्वे कराया जाए और देखा जाए कि जो मंत्री हार रहे हैं उनका विकल्प क्या है। केंद्रीय संगठन ने प्रदेश संगठन से 82 आरक्षित सीटों पर जीत का प्लान भी मांगा है। इनमें अनुसूचित जनजाति की 47 और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 35 सीट हैं। दोनों वर्गों में सरकार के प्रति बढ़ी नाराजगी से पार्टी को आशंका है कि इन सीटों पर नुकसान हो सकता है। इसलिए इन सीटों पर जीत के लिए क्या-क्या किए जा रहे हैं और क्या रणनीति है, उसकी रिपोर्ट मांगी गई है। प्रदेश संगठन के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिसर्च का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस वजह से वे संगठन को समय नहीं दे पा रहे हैं। हालांकि प्रदेश प्रभारी के लिए भूपेंद्र यादव, ओमप्रकाश माथुर और अनिल जैन के नामों की चर्चा है। बावजूद इसके संगठन का कामकाज राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल देख रहे हैं। चुनाव की कमान अमित शाह ने अपने हाथों में ले रखी है तो लगता नहीं है कि प्रदेश संगठन की जवाबदारी किसी और को दी जाएगी।
दो रथ लेकर चलेंगे शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2008 और 2013 के चुनाव में भी जन आशीर्वाद यात्रा पर निकले थे। उसी परंपरा को इस बार भी वे चुनाव से पहले जारी रखना चाहते हैं। लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव में दो रथ लेकर चलने का निर्णय लिया है। जन आशीर्वाद यात्रा 14 जुलाई से शुरू होगी और 25 सितंबर को दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर समाप्त होगी। उनका रथ पुणे में तैयार हो रहा है। जन आशीर्वाद यात्रा आठ हजार किलोमीटर की होगी। मुख्यमंत्री एक दिन एक क्षेत्र में तो दूसरे दिन दूसरे क्षेत्र में यात्रा पर रहेंगे। उनकी रथ यात्रा भी सरकारी खर्चे पर है। उनका रथ सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाएगा। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों के घर वे इस दौरान भोजन भी करेंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा कहते हैं, ‘चित्रकूट विधानसभा के उपचुनाव में भी मुख्यमंत्री ने दलित के घर भोजन किया था। चार दर्जन मंत्रियों और सांसदों ने वहां डेरा डाल रखा था फिर भी चुनाव हार गए। प्रदेश का दलित भी जान गया है कि शिवराज सियासी नाटकबाज हैं। उनकी भोजन राजनीति से अब कोई रीझने वाला नहीं है।’
राहुल की टीम सक्रिय
प्रदेश की हर सियासी नब्ज पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम की नजर है। एक-एक विधानसभा सीट की स्थिति और कामकाज की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। पार्टी इस बार किसी भी बड़े नेता के कहने पर किसी को टिकट नहीं देगी। केवल जीतने वाले उम्मीदवारों को ही कांग्रेस इस बार टिकट देगी। राहुल गांधी अपने स्तर पर भी फीडबैक ले रहे हैं। प्रत्येक विधानसभा सीट के सर्वे की जिम्मेदारी हर्षवर्धन श्याम को दी गई है। रिसर्च एंड एनालिससि विंग की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही जिला स्तर पर टीम का गठन करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है। यह टीम राज्य और जिला स्तर पर हुए घोटालों की जानकारी एकत्र कर रही है। साथ ही टिकट के दावेदारों के संदर्भ में भी जानकारी एकत्र कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस भाजपा सरकार के 15 साल का चिट्ठा उजागर करने की तैयारी में जुटी है। मंत्रियों और अफसरों के घोटाले की जानकारी एकत्र करने के लिए आरटीआई का सहारा मीडिया सेल ले रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से भी मंत्रियों और अफसरों की जानकारी जुटाई जा रही है। भ्रष्टाचार और घोटालों से संबंधित खबरों का संग्रह किया जा रहा है। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार के लंबित मामले की जानकारी ली जा रही है। लोकायुक्त की कौन-कौन सी रिपोर्ट सदन में पेश नहीं हुई इसका भी पता लगाया जा रहा है। बता दें कि सिंहस्थ घोटाले की सीएजी रिपोर्ट भी उजागर नहीं हुई है।
बूथ मैनेजमेंट पर नजर
प्रदेश में 65 हजार बूथ हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों मतदाता सूची और बूथ मैनेजमेंट पर फोकस कर रही है। कांग्रेस ने 13 लाख पन्ना कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है। एक कमेटी में तीन सदस्य होंगे जो मतदाता सूची के हर पन्ने पर नजर रखेंगे। एक पन्ने में औसतन 30 मतदाताओं के नाम होते हैं। इस तरह एक सदस्य के हिस्से में 10 मतदाता आएंगे। एक बूथ पर लगभग 600 वोटर होते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस ने मतदाता सूची में 60 लाख फर्जी नाम होने की सूची चुनाव आयोग को सौंपी थी लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस की सूची को दरकिनार कर दिया। कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने 13 जून को निर्वाचन आयोग को मतदाता सूचियों की दोबारा जांच की शिकायत का पत्र लिखा। उसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को फिर से जांच करने के निर्देश दिया गया। शिकायत में उल्लेखित सभी 101 विधानसभा क्षेत्रों में जांच की जाएगी। जांच के दौरान डुप्लीकेट, अवैधानिक, दोहरे , अपात्र और झूठे अंकित मतदाताओं के नामों को देखा जाएगा। विवेक तन्खा का कहना है कि कांग्रेस द्वारा उठाए गए तथ्यों की जल्दबाजी में जांच कर उसे सीधे नकार दिया जाना उचित नहीं है। कांग्रेस द्वारा आयोग को सौंपी गई मतदाता सूचियों की प्रतियां, सीडी और पेनड्राइव में उल्लेखित शिकायतों की दोबारा जांच कराई जा रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रचार एवं प्रसार समिति की कमान विवेक तन्खा को ही सौंपी है। वे प्रदेश कांग्रेस की चुनाव घोषणा पत्र, चुनाव अभियान जैसी महत्वपूर्ण समितियों में भी अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही सोशल मीडिया की भी जवाबदारी उन्हें दी गई है। कांग्रेस की घोषणा समिति में सात नए सदस्य शामिल किए गए हैं। पूर्व उद्योग मंत्री नरेंद्र नाहटा को समिति का अध्यक्ष और रमेश चन्द्र गुप्ता को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इस प्रकोष्ठ में चार अन्य आमंत्रित सदस्य हैं। बहरहाल, प्रदेश में भाजपा से सत्ता की बागडोर छीनने की कवायद में कांग्रेस जुटी है जबकि भाजपा इस प्रयास में है कि वह चौथी बार भी सरकार बना ले।