बिहार में राजद और कांग्रेस के नेतृत्व में बने महा-गठबंधन में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. महा-गठबंधन में शामिल ‘हम’ और ‘रालोसपा’ के लिए दिक्कत की बात यह है कि उनके कई नेता पार्टी छोडक़र जा रहे हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी हम के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने पार्टी छोड़ दी है.
उधर, कई कुशवाहा नेताओं ने रालोसपा छोडक़र जनता दल (यू) की सदस्यता ग्रहण कर ली. ऐसा इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव का टिकट पाने की आस रखने वाले नेताओं को लग रहा है कि महा-गठबंधन में उनका यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा. ऐसे नेताओं की यह आशंका जायज भी है.
महा-गठबंधन की ज्यादातर सीटें राजद और कांग्रेस के खाते में जाएंगी. बची-खुची सीटें ही हम, रालोसपा, वीआईपी पार्टी और शरद यादव की पार्टी के खाते में जाएंगी. ऐसा अनुमान है कि मांझी को सिर्फ एक सीट मिल सकती है. जाहिर है, इस एक सीट पर वह खुद या उनके बेटे चुनाव लड़ेंगे. ऐसी स्थिति में वृषिण पटेल और महाचंद्र प्रसाद सिंह के लिए कोई संभावना तो बचती नहीं थी, इसलिए उन्होंने पार्टी छोडऩे में ही अपनी भलाई समझी.