नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती शनिवार को दिल्ली पहुंचीं और घाटी में दो महीने से जारी हिंसा और तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलीं। उन्होंने आतंकी बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद कश्मीर में बिगड़े हालात के मद्देनजर घाटी में सुरक्षा हालात पर चर्चा की। महबूबा ने कहा कि घाटी में हिंसा सबके लिए चिंता की बात है और पीएम शांति बहाली के पक्ष में हैं। जितनी तकलीफ हमें है, उतनी ही तकलीफ उन्हें (पीएम मोदी) को भी है। जो लोग मर रहे हैं वे हमारे बच्चे हैं।’
उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा, पीएम कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित हैं। लगता है कहीं-न-कहीं कुछ जमा हुआ है। कर्फ्यू का मकसद यह है कि लोगों की जान बची रहे, इसलिए कर्फ्यू लगाया गया। यदि हम कर्फ्यू न लगाएं तो क्या करें। महबूबा ने मीडिया से अपील की कि माहौल को बेहतर करने के लिए सहयोग करें। मैं जम्मू कश्मीर के उन नौजवान लड़कों से अपील करती हूं कि आप मुझसे नाराज़ हो सकते हैं, मैं आपसे नाराज़ हो सकती हूं लेकिन मुझे एक मौका दीजिए। मेरी मदद कीजिए। यह दूसरी बार है जब कश्मीर के हालात पर पीएम से चर्चा के लिए महबूबा दिल्ली पहुंची हों। उन्होंने कहा, ‘अलगाववादियों को आगे आना चाहिए और निर्दोष लोगों का जीवन बचाने में जम्मू कश्मीर सरकार की मदद करनी चाहिए।’ वह बोलीं, ‘यह समय पाकिस्तान के लिए जवाब देने का है कि वह कश्मीर में शांति चाहता है या नहीं।’
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे युवाओं को पत्थर मारने के लिए उकसाया जाता है। हमारे युवाओं को उकसाना बंद हो। ये मुलाक़ात उस वक़्त पर हुई है, जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में अपने दो दिनों के कश्मीर दौरे पर ये साफ़ कर दिया है कि उपद्रवियों के साथ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी। इस बीच पैलेट गन के विकल्प के तौर पर मिर्ची के गोले के इस्तेमाल पर बात हो रही है। 8 जुलाई को आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से घाटी में हिंसा भड़क गई थी, जिसके चलते 67 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। अब भी कई इलाक़ों में कर्फ़्यू जारी है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार हिंसा के दौर पर विराम लगाने के लिए महबूबा को कुछ चीजों के बारे में स्पष्ट तौर पर बता दिया गया है। इस सप्ताह की शुरुआत में मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले राज्य के विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की थी। बैठक के बाद मोदी ने कश्मीर की स्थिति को लेकर ‘गहरी चिंता और दुख व्यक्त’ किया था और जम्मू कश्मीर की समस्या का एक ‘स्थायी और दीर्घकालिक’ समाधान तलाशने के लिए सभी राजनीतिक दलों से एक साथ मिल कर काम करने का आह्वान किया था।