“पुरुष प्रेम कहानी नहीं लिख सकते, क्योंकि स्त्री ही प्रेम के कोमल भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकती है। प्रेम को नकारना और प्रेम को छिपाना अपराध है। हम प्रेम को छिपाकर उसे अपराध की संज्ञा दे देते हैं, जो कि उचित नहीं है। अगर प्रेम है तो उसे खुलेआम स्वीकार करना चाहिए।” सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा ने ये विचार सोलो फीमेल ट्रेवेलर, फोटोग्राफर और ब्लॉगर डा. कायनात काजी के कहानी संग्रह “बोगनवेलिया” के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए। लोकार्पण समारोह का आयोजन कलमकार फाउंडेशन द्वारा नई दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में किया गया। समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्द उपन्यासकार और हिंदी अकादमी, दिल्ली की उपाध्यक्ष श्रीमती मैत्रेयी पुष्पा ने किया, जबकि वरिष्ठ कवि और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। “पाखी” के संपादक श्री प्रेम भारद्वाज और वरिष्ठ टीवी पत्रकार व समीक्षक श्री अनंत विजय भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे। “बोगनवेलिया” नौ प्रेम कहानियों का संग्रह है। इसमें प्रेम के नौ अलग-अलग रंग हैं।
डॉ. कायनात काजी के कहानी संग्रह “बोगनवेलिया” पर चर्चा करते हुए मैत्रेयी पुष्पा ने कहा कि आजकल अच्छी कहानियां पढ़ने को नहीं मिल रही हैं। कायनात की कहानियां इस कमी को पूरा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक खोलने के बाद वे लगातार एक के बाद एक सारी कहानियां पढ़ती चली गयीं। इन कहानियों में जीवन की मामूली बातें सुनाने का तरीका प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि एक पुरुष के मुकाबले स्त्री ज्यादा अच्छी प्रेम कहानी लिखती है। स्त्री ही प्रेम के विविध रूपों को महसूस करती है, इसलिए वह सुंदर प्रेम कहानियां लिख सकती है। मैत्रेयी पुष्पा ने देह और प्रेम के अंतर-संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि लोगों को लगता है प्रेम के लिए देह ज़रूरी है, जबकि प्रेम अलग है और सेक्स अलग है। प्रेम का सेक्स से संबंध नहीं है। स्त्री की आज़ादी सही मायने में तब होगी जब उसे प्रेम करने की स्वतंत्रता होगी। वह जिससे प्रेम करे, उसे बिना संकोच पति से मिलवा सके। समाज भी यह स्वीकार सके कि पति अलग होता है और प्रेमी अलग। इतनी ताकत तब मिलेगी जब ये समझ सकेंगे की प्रेम की मनाही कही नहीं है और देह प्रेम नहीं है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि एवं भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने कहा कि मैं कविता के पाठक की तरह किताब पढता हूं और अनकहे को ढूंढता हूं। संग्रह की पहली ही कहानी “बोगनवेलिया” इतनी बढ़िया लगी कि ये शेर याद आ गया, ‘था इतना सख्त जान कि तलवार बेअसर, था इतना नर्म दिल कि गुल से कट गया…’ उन्होंने प्रेम के शेड्स की बात करते हुए कहा कि प्रेम और करुणा दुनिया में दो ही तत्व हैं। प्रेम पर ढेर सारे क्लासिक्स लिखे जा चुके हैं। “एक थी रोमना” मास्टरपीस कहानी है। इसमें भाषा अनजान है और प्रेम मौन में है। श्री मंडलोई ने कहा कि “बोगनवेलिया” की कहानियां डॉ कायनात के फोटोग्राफर गुण को शेयर करता है। उन्होंने कहा कि स्त्री अगर प्रेम कहानी लिखे तो पुरुष उसे नहीं पढ़ सकता। लोगों को अगर प्रेम समझ आ जाये तो समाज में नफ़रत ही नहीं रहेगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित ‘पाखी’ पत्रिका के संपादक प्रेम भारद्वाज ने कहा कि प्रेम और सियासत पर लिखना कठिन कार्य है। “बोगनवेलिया” की कहानियां अलग तरह की हैं। इसमें बहुत विविधता है। इसे पढ़ कर कई बार लगने लगता है कि जैसे दो अलग लोगों ने कहानियां लिखी हों। पहली कहानी “बोगनवेलिया” अकेलेपन की कहानी है। यह बेचारगी नहीं है। यदि अकेले जीवन भयावह हो जाये तो भ्रम रचना होता है। यह स्वाभिमान से जीने की फैंटेसी है। तो वहीं अन्य कहानियों में कायनात ने प्रेम के अलग अलग रंगों को उकेरा है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार एवं समीक्षक अनंत विजय ने डॉ कायनात काजी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी भाषा में रंग हैं। उत्तर आधुनिक बिम्ब हैं। उन्होंने कलमकार संस्था की तरफ से सभी को धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
“बोगनवेलिया” कायनात की दूसरी और कहानी संग्रह की पहली पुस्तक है। कायनात की इससे पहले “कृष्णा सोबती का साहित्य और समाज” नामक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। देश-विदेश में लाख किलोमीटर की यात्रा तय करने वाली कायनात काजी ‘राहगीरी’ नाम से हिंदी का पहला ट्रैवेल फोटोग्राफी ब्लॉग भी चलाती हैं। इस मौके पर युवा लेखिका डॉ कायनात काजी ने कहा कि “बोगनवेलिया” प्रेम के अलग-अलग रूपों को बुनती कहानियों का संग्रह है। जिसमें किसी स्त्री के खुद से प्रेम की कहानी है तो मां–बेटे के प्रेम के सुन्दर रूप को उकेरती दूसरी कहानी भी है। एक कहानी है पहले प्यार को सहेजती लड़की की तो वही उसके प्रेमी के भावनाओं के पूरी तरह से बदल जाने की भी। कायनात ने कहा कि इन कहानियों को पढ़ते हुए आप के दिल के किसी कोने में मुरझाए प्रेम की कली एक बारगी जरूर खिल जाएगी। दरअसल, ये कहानियां आप के आसपास की हैं। इसलिए इन्हें पढ़ कर शायद आप इन किरदारों में खुद को ढूढ़ने लगेंगे।