निशा शर्मा । लोगों की भीड़, लम्बी कतारें, सुरक्षा के कड़े इंतजाम ये नजारा था 63वें राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह के शुरू होने से पहले का। लाइन में लोग इंतजार कर रहे थे कि कब उनका नंबर आए और वो उस शानदार समारोह का हिस्सा बने। एक तरफ सिनेमा की नामी हस्तियां मीडिया को कवरेज देने में व्यस्त थीं।
कबीर खान, संजय लीला भंसाली, विशाल भारद्वाज, शबाना आजमी, जावेद अख्तर, अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, जया बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, श्वेता नंदा, कंगना रनोत, कल्की कोचलिन, नितिन मुकेश, रेमो डिसूजा जैसे बड़े सितारे इस शाम का हिस्सा बने।
दर्शकों से खचाखच भरा विज्ञान भवन इस बात की गवाही दे रहा था कि ये शाम सिनेमा के दिग्गजों के नाम है। एंकर विज्ञान भवन के अंदर से लेकर बाहर तक एक्सक्लूसिव तस्वीरें और वीडियो अंदर बैठे सिनेमा प्रेमियों तक स्क्रीन के जरिये पहुंचा रही थी। हॉल के स्टेज के बीचोंबीच एक बड़ी स्क्रीन ये बता रही थी कि किन हस्तियों को अवॉर्ड दिया जाना है। अमिताभ अपने परिवार के साथ समारोह में पहुंचे। सबसे आखिर में दिदार हुआ सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान पाने वाली कंगना रनोत का। लोगों के साथ-साथ मीडिया की निगाहें कंगना को काफी देर से ढूंढ रही थी, काफी देर तक कंगना के समारोह में ना दिखने से अंदाजा लगाया जाने लगा था कि वो समारोह का हिस्सा शायद नहीं होंगी, पर ऐसा हुआ नहीं कंगना ने समारोह में अपने चित्त परिचित अंदाज में धमाकेदार एंट्री की। कंगना समारोह में आने के बाद अमिताभ बच्चन से मिली, उसके बाद जया, ऐश्वर्या और अभिषेक से। समारोह में अमिताभ और कंगना पर कैमरों की निगाहें काफी देर तक टीकी रहीं। कुछ देर बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आगमन हआ और ये एक संकेत था कार्यक्रम के शुरू होने का। पुरस्कार विजेताओं के नाम की घोषणा शुरू हो गई। समारोह में फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ ने सबसे ज्यादा अवार्ड अपने नाम किए। संजय लीला भंसाली को फिल्म बाजीराव मस्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का, रेमो डिसूजा को सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी, श्रीराम लेंगर, सलोनी धटरॉक और सुजीत सांवत को सर्वश्रेष्ठ फिल्म प्रोडक्शन डिजाइन, आडियोग्राफी सेक्शन में विश्वजीत चट्रर्जी के लिए और जस्टीन घोष को रिकॉर्डिंग के लिए पुरूस्कार दिया गया।
‘पीकू’ फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार अमिताभ बच्चन को दिया गया। अमिताभ बच्चन का नाम बोलते ही सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। ये लम्हा था सुपरस्टार के समारोह में उपस्थित होने का। इसी फिल्म (पीकू) के बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए जूही चतुर्वेदी को भी पुरस्कृत किया गया । उसके बाद फिल्म ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के लिए कंगना रनौत का नाम गूंजा और उसी के साथ तालियों की गड़गड़ाहट ने जता दिया कि महिला प्रधान फिल्मों की क्वीन कंगना के अलावा दूसरी कोई और हो ही नहीं सकती। कंगना का ये तीसरा और लगातार मिलने वाला दूसरा पुरूस्कार था। शबाना आजमी के बाद कंगना ऐसी दूसरी अभिनेत्री हैं जिन्हें ये पुरस्कार दो बार लगातार मिला है।तनु वेड्स मनु रिटर्न्स फिल्म के बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए हिमांशु शर्मा को भी सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ फिल्म का तमगा लगा ‘दम लगा के हईशा’ पर। वहीं सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए बाहुबली को पुरस्कृत किया गया । नीरज घायवन को ‘मसान’ के लिए सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फिल्म डायरेक्टर का सम्मान दिया गया। समारोह के आखिर में ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ की घोषणा की गई और ये घोषणा थी मनोज कुमार के नाम की। सभी की निगाहें मनोज साहब को ढूंढने लगीं। मनोज साहब समारोह में नहीं थे। लेकिन ये लोगों की उत्सुकता पर विराम था जब एक दरवाजे से अचानक मनोज कुमार को अंदर लाया गया। मनोज कुमार की तबीयत ठीक नहीं थी। लेकिन सिर पर लाल रूमाल बांधे व्हील चेयर पर मनोज कुमार ने राष्ट्रपति के हाथों दादा साहब सम्मान ग्रहण किया और राष्ट्रपति के पैरों को हाथ लगाकर अपना शुक्रिया अदा किया। राष्ट्रपति को उन्होने हनुमान की प्रतिमा भी भेंट की। पूरा हॉल खड़े होकर मनोज कुमार को सम्मान दे रहा था तो मनोज कुमार ने भी सभी के सम्मान को सहेजते हुए हाथ हिलाकर सम्मान स्वीकार किया। केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सिनेमा पर अपने अनुभवों को लोगों के बीच साझा किया और राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ।