बिहार में महागठबंधन सरकार पर टॉपर घोटाला, पर्चा लीक घोटाला के बाद मिट्टी घोटाला करने का आरोप चस्पा हुआ है। एक के बाद एक घोटाले से जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फजीहत हुई है, वहीं मिट्टी घोटाले में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का नाम जुड़ जाने से विपक्ष को सरकार पर बड़ा हमला बोलने का मौका मिल गया है। मुख्यमंत्री ने घोटाले की जांच राज्य की एसआईटी टीम को सौंप दिया है जबकि विपक्ष मिट्टी घोटाले की जांच सीबीआई से कराने पर अड़ा है। बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम कुमार से इस मुद्दे पर ओपिनियन पोस्ट संवाददाता ने बातचीत की –
भाजपा जिस मिट्टी घोटाले की बात कर रही है, उस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव का कहना है कि वे भाजपा के नेताओं पर मानहानि का मुकदमा करेंगे। सच्चाई क्या है?
तेज प्रताप यादव लालू यादव के बेटे हैं। लालू यादव ने चारा घोटाला किया था, तब वे भी यही कहा करते थे। तेज प्रताप यादव ही नहीं लालू यादव और उनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव की भूमिका भी इस मामले में संदेहास्पद है। लालू यादव आदतन घोटालेबाज हैं। जब तक वे सत्ता में रहेंगे गरीब बिहार के संसाधनों का निजी हित में इसी तरह दोहन होता रहेगा। यह पहला मामला नहीं जब महागठबंधन की सरकार पर कोई घोटाले का आरोप लग रहा है। पूरे कुएं में भांग पड़ी है।
आपने इस घोटाले के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी जिम्मेवार ठहराया है। वजह?
कहा तो कि पूरे कुएं में भांग पड़ी है। नीतीश इन मामलों के लिए लालू परिवार से कहीं ज्यादा जिम्मेवार हैं। टॉपर घोटाला, पर्चा लीक घोटाला और अब मिट्टी घोटाला-महागठबंधन सरकार की डेढ़ साल से कम समय में यह ‘उपलब्धि’ है। राज्य में एक के बाद एक घोटले उजागर हो रहे हैं। लेकिन सरकार मामले पर बजाय ठोस कार्रवाई करने के, लीपापोती में जुटी है। मुख्यमंत्री नहीं चाहते कि इन घोटालों का सच आने के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री कहते हैं कि वे बेनामी संपत्ति के खिलाफ हैं। अगर वे सही मायने में बेनामी संपत्ति के खिलाफ हैं तो लालू यादव की संपत्ति का उन्हें पता लगवाना चाहिए। लालू परिवार का जिस दो एकड़ जमीन पर बिहार का सबसे बड़ा मॉल बन रहा है, वह जमीन उनके पास कैसे आई, इसकी भी पड़ताल होनी चाहिए। मिट्टी घोटाले में कई रहस्य छुपे हैं, जिसका पर्दाफाश होना ही चाहिए। लालू यादव ने यह जमीन रेलमंत्री रहते राज्यसभा सांसद प्रेमचंद गुप्ता के माध्यम से गलत तरीके से हासिल की थी।
मुख्यमंत्री ने जांच का आदेश तो दिया ही है?
हमें राज्य सरकार की जांच टीम पर भरोसा नहीं है। पिछले कई मामलों की जांच राज्य की एसआईटी से करवाई गई। लेकिन जांच के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ। कुछ लोगों का नाम उजागर हुआ भी तो उन पर कार्रवाई नहीं हुई। पर्चा लीक घोटाला में राज्य सरकार को दो मंत्रियों आलोक मेहता और कृष्णनंदन बर्मा का नाम जांच में उजागर हुआ था। मुख्यमंत्री ही बता दें इन पर क्या एक्शन लिया गया। एक और मंत्री विजय प्रकाश यादव ने हीरा व्यापरी को घर में घुसकर धमकी दी। सरकार उन्हें भी बचाने में जुटी है। मुख्यमंत्री को डर है कि घोटालेबाजों पर एक्शन लेंगे तो सरकार टूट जाएगी। राज्य सरकार की जांच पर हमें उम्मीद नहीं है। घोटालों की जांच सीबीआई से होनी चाहिए।
महागठबंधन का आरोप है कि भाजपा के एक नेता पुत्र द्वारा चर्च की जमीन पर जबरन मार्केट कांप्लेक्स का निर्माण करवाया जा रहा है?
इसमें कोई सच्चाई नहीं है। यह मिट्टी घोटाला से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास है। बिना सबूत के वे बात कर रहे हैं।