निशा शर्मा।
निर्भया केस की चौथी बरसी है, दिल्ली में चार साल पहले हुई इस घटना की गूंज आज भी सुनाई देती है। लेकिन इस भयावह घटना से दिल्ली की सरकार, प्रशासन, महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जवाबदेह लोग क्या महिलाओं को सुरक्षा दे पा रहे हैं। सुरक्षा जितना बड़ा मुद्दा है उतना ही बड़ा अधिकार भी। क्या निर्भया केस के बाद देश की राजधानी में महिलाएं दिल्ली को सुरक्षित महसूस कर पा रही हैं या फिर हमारा सिस्टम इस इंतजार में बैठा है कि फिर ऐसी घटना हो और फिर उनकी नींद तोड़ी जाए। महिलाओं से जुड़े इस मुद्दे पर ओपिनियन पोस्ट ने विस्तार से जानना चाहा कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं, क्या नहीं किया जा रहा है और क्या होना चाहिए। क्या कहती हैं महिलाओं की सुरक्षा पर दिल्ली की जानी-मानी महिलाएं जानिए-
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल मानती हैं कि निर्भया केस के चार साल बाद भी दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। इसकी वजह है कि केन्द्र सरकार इस मसले पर गंभीर नहीं है क्योंकि पिछले डेढ साल से हम हाईलेवल कमेटी बनाने पर जोर दे रहे हैं लेकिन केन्द्र सरकार इसे टाले जा रही है। राजनीतिक मतभेदों के चलते यह काम रुका हुआ है जिसकी वजह से अब मामला कोर्ट पहुंच चुका है और इक्कीस दिसंबर को मामले पर सुनवाई है। महिला आयोग के पास मॉनिटरिंग के अधिकार तो हैं लेकिन लागू करने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास हैं। केन्द्र सरकार मामले में कोताही दिखा रही है। लेकिन उसके बावजूद हम अपने लेवल पर भी काम कर रहे हैं। जिसमें हमारे पास करीब एक साल में 1,20,000 केस पर हमने काम किया है। 66 कॉउंसलर और 22 महिला वकील महिलाओं की मदद के लिए नियुक्त किए हैं। 22 गाड़ियां लॉन्च की हैं, पहले हम दिल्ली पुलिस को महिलाओं की मदद के लिए केस भेजते थे अब हम खुद जहां जल्द से जल्द पहुंचा जा सकता है वहां पहुंचते हैं। हम अपनी ओर से प्रयासरत हैं लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह जरुरी है कि राजनीतिक मतभेद भूलकर पार्टियों को काम करना चाहिए, जो नहीं हो रहा है।
वूमेन क्राइम सैल की डीसीपी वर्षा शर्मा का कहना है कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा चिंता का विषय है। हालांकि वर्षा कहती हैं कि क्राइम सैल अपनी ओर से महिलाओं को सुरक्षा देने की पूरी कोशिश कर रहा है। हम हर साल कई ऐसे कैंपों का आयोजन करते हैं जिसमें महिलाओं को सेल्फ डिफेंस सिखाया जाता है और इस साल भी यह कैंप 24 दिसंबर से शुरु किया जा रहा है। सेल्फ डिफेंस महिलाओं के लिए कितना कारगर साबित होता है के जवाब में वर्षा कहती हैं कि आपको अपनी लड़ाई लड़नी आनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मिनाक्षी अरोड़ा के मुताबिक दिल्ली महिलाओं के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। आप सोचिए मैं अपनी गाड़ी और ड्राइवर के बिना खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हूं, जिनके पास यह सब सुविधाएं नहीं हैं वह महिलाएं खुद को कितना असुरक्षित महसूस करती होंगी। हमारे यहां जब तक कानूनी व्यवस्था को मजबूत नहीं किया जाएगा तब तक कुछ नहीं हो सकता है। जजों की नियुक्ति, कड़ी सजा का प्रावधान, फास्ट ट्रैक कोर्ट यह सब ऐसी चीजें हैं जिस पर जल्द से जल्द काम होना चाहिए ताकि महिलाओं की सुरक्षा को मजबूती मिल सके।
मधु किश्वर जानी- मानी लेखिका और महिलाओं के हितों पर काम करने वाली पत्रिका मानुषी की संस्थापक संपादक हैं। मधु कहती हैं जिस समाज में, राज्य में या देश मे पुरुष सुरक्षित नहीं हैं वहां महिलाएं कैसे सुरक्षित हो सकती हैं। दिल्ली में क्राइम रेट को देखेंगे तो आप पाएंगे कि क्राइम रेट महिलाओं से कहीं ज्यादा पुरुषों पीड़ित हैं।