कश्मीर घाटी में आतंक के पोस्टर ब्वॉय रहे हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के एक साल बाद भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। पिछले साल 8 जुलाई को सेना से मुठभेड़ में उसकी मौत के बाद से धधक रहे कश्मीर में हालात अब तक सामान्य नहीं हो पाया है। अब उसकी बरसी पर अलगाववादी और आतंकवादी फिर से घाटी का माहौल बिगाड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
हिंसा की आशंका को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर घाटी में अलर्ट जारी कर दिया है और सुरक्षा बढ़ा दी है। साथ ही इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी है और सोशल साइटों को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा अलगाववादी नेता यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं दो अलगाववादी नेताओं सैय्यद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार की मांग पर सुरक्षा बलों की कुल 214 कंपनियां घाटी में भेजी हैं। दक्षिण कश्मीर, खासकर त्राल, पुलवामा, कुलगाम और श्रीनगर के कुछ इलाकों में सर्च अभियान जारी है। प्रशासन ने बुरहान वानी के पैतृक गांव त्राल और उसके आसपास के इलाकों में लोगों के एकत्र होने पर भी पाबंदी लगा दी है।
वैसे प्रशासन को अंदेशा है कि घाटी में हालात बिगड़ सकते हैं, इसलिए स्कूल-कॉलेज बंद किए जा चुके हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार ने एहतियातन 6 जुलाई से राज्य के सभी स्कूलों में 10 दिन का ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित कर दिया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी एक अपील जारी की है जिसमें नौजवानों को हिंसा से दूर रहने को कहा गया है। प्रदेश के डीजीपी एसपी वैद्य ने अपील में कहा है, “इस्लाम में एक शख़्स का कत्ल करना पूरी इंसानियत के कत्ल के बराबर है। हमारी पुलिस कई भटके हुए नौजवानों को वापस राह पर लाई है।”
उनके मुताबिक नौजवानों को दहशतगर्दी का रास्ता इख़्तियार नहीं करना चाहिए बल्कि अच्छे कल की ओर बढ़ना चाहिए। वैद्य ने कहा, “मैं यकीन दिलाता हूं, जो बच्चे वापस अपनी जिंदगी ठीक करना चाहते हैं और अगर उन्होंने कुछ अपराध नहीं किए हैं तो हम पूरी कोशिश करेंगे कि वे वापस अपनों के साथ दोबारा मिल जाएं।”
मालूम हो कि पाकिस्तान में बैठे हिजबुल मुखिया सैय्यद सलाहुद्दीन ने अगले हफ्ते (8-14 जुलाई) को ‘शहीदों का हफ्ता’ के तौर पर मनाने की अपील घाटी के लोगों से की है। वहीं हुर्रियत ने अपना कैलेंडर दोबारा जारी कर दिया है। इस बार कैलेंडर 13 जुलाई तक का है। इसमें हर रोज कहीं न कहीं चलने की अपील है। 8 जुलाई को त्राल चलो का नारा कैलेंडर में दिया गया है। बुरहान त्राल का ही रहने वाला था।
बुरहान की मौत के बाद से राज्य के चार जिले पुलवामा, कुलगाम, शोपियां और अनंतनाग पिछले एक साल से हिंसा की चपेट में हैं। इन जिलों में पिछले पांच महीनों में आतंकवादी हिंसा में दो पुलिसकर्मियों सहित 76 लोगों की मौत हो चुकी है।