नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात विधान सभा चुनावों की नैया पार लगाने के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार काफी रणनीतिक माना जा रहा है। एमजे अकबर को मंत्री बनाए जाने के पीछे भी एक बड़ी रणनीति देखी जा रही है। वह जहां भारतीय जनता पार्टी के लिए मीडिया को मैनेज कर पाएंगे, वहीं अपनी साफ छवि की छाप का चुनावी लाभ भी पार्टी को उपलब्ध करा पाएंगे। क्योंकि उनके रूप में पार्टी को एक ऐसा मुस्लिम, साफ छवि का बुद्धिजीवी पत्रकार और लेखक मिल गया है जिसकी न केवल बड़े-बड़े मीडिया घरानों में अच्छी पैठ है बल्कि वह एक लोकप्रिय लेखक के रूप में भी विख्यात है। अब उन्हें किस मंत्रालय का कार्यभार मिलेगा, यह बाद की बात है पर इस फैसले से भाजपा की छवि में चार चांद लगना तय है। उसके दूरगामी परिणाम भाजपा को राजनीतिक लाभ अवश्य पहुंचाएंगे।
बता दें कि एमजे अकबर मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं और जाने-माने पत्रकार भी। उन्होंने राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली है। पत्रकारिता से राजनीति में आए मध्यप्रदेश से पिछले ही महीने राज्यसभा सदस्य बने अकबर इससे पहले पिछले साल जुलाई में झारखंड से राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। 1989 से 1991में बिहार के किशनगंज से कांग्रेस लोकसभा सांसद रहे अकबर ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामा था। वह साल1991 से 1993 के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय के परामर्शकार भी रह चुके हैं।
1951 में पश्चिम बंगाल के हुगली में जन्मे अकबर भाजपा में आने से पहले पत्रकार के तौर पर देश के कई ख्यातिप्राप्त प्रकाशनों से जुड़े रहे हैं। वह एक ख्यातिप्राप्त स्तंभकार और कई किताबों के लेखक भी हैं। वरिष्ठ पत्रकार निर्मलेंदु साहा ने ओपिनियन पोस्ट से बातचीत में बताया कि एमजे अकबर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। सकारात्मक सोच वाले एमजे अकबर मुस्लिम होने के साथ साफ छवि के बुद्धिजीवी पत्रकार और लेखक हैं, जिनकी लोकप्रियता बेजोड़ है। उन्हें मंत्री बनाने के पीछे भाजपा की जो भी सोच या रणनीति रही हो, लेकिन पार्टी को उनकी छवि का चुनावी लाभ मिलना ही है। यह अलग बात है कि कांग्रेस में रह कर उन्होंने भाजपा की तीखी आलोचना भी की थी, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में उनके निर्विवाद व्यक्तित्व का ध्यान अवश्य रखा गया।