अजय विद्युत
यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान अपनी हर रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटबंदी के फायदों को गिनाते नहीं थक रहे। वहीं वे यह भी बताते हैं कि केंद्र सरकार ने कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल पेमेंट करने पर कितनी सुविधाएं दी हैं। लेकिन डिजिटल पेमेंट सिस्टम आम लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया है जो सीधे उनकी जेबों पर डाका डाल रहा है।
नोटबंदी के दौरान डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर सामान्य लेनदेने पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं पड़ता था। लेकिन अब हालात वैसे नहीं रह गए हैं।
चौदह फरवरी की शाम दिल्ली के बाराखंबा मेट्रो स्टेशन पर पंजाब नेशनल बैंक के डेबिट कार्ड से मेट्रो कार्ड में दो सौ रुपये का रिचार्ज कराया। इसके लिए बैंक ने दो सौ दस रुपये काट लिए। जाहिर है कि कैश में पेमेंट करने पर केवल दो सौ रुपये ही देने पड़ते लेकिन डिजिटल भुगतान के चक्कर में दस रुपये अतिरिक्त देने पड़े। यह पांच फीसदी अतिरिक्त भुगतान आम आदमी की जेब पर सीधा डाका है। डाका इसलिए कि बैंक ने उपभोक्ताओं को पहले से इस बाबत कोई सूचना नहीं दी थी कि उन्हें मेट्रो कार्ड रिचार्ज कराने पर अतिरिक्त पैसा देना होगा।
बाद में पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों से संपर्क करने पर उसने बताया, ‘ एक जनवरी 2017 से बैंक ने मेट्रो कार्ड रिचार्ज कराने और पेट्रोल पंपों पर तेल भरवाने पर ढाई प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। इसकी कम से कम राशि दस रुपये है।’ बैंक प्रतिनिधि ने बताया, ‘अगर आप इन मदों में पीएनबी के कार्ड से पचास रुपये भी खर्च करते हैं तो आपके दस रुपये कट जाएंगे।’
क्या उपभोक्ताओं को यह सूचना देना बैंक की जिम्मेदारी नहीं थी कि आगे से बैंक के कार्ड से भुगतान करने पर उन्हें अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ेंगे? इस पर पीएनबी अधिकारी का जवाब था, ‘बैंक को एसएमएस के जरिये यह सूचना देनी चाहिए थी।’ फिर क्यों नहीं दी, इस पर उस अधिकारी ने केवल ‘सॉरी’ कहा और फोन रख दिया।