नई दिल्ली।
राष्ट्रपति पद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के लिए ‘गुरुदक्षिणा’ हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं चुनाव नतीजे आने से पहले 8 मार्च को एक बैठक में अगले राष्ट्रपति के लिए उनका नाम आगे किया था। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बाद भाजपा को अपनी पसंद का राष्ट्रपति मिलने की उम्मीद है। इस आधार पर आडवाणी भारत के अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं। राष्ट्रपति पद का चुनाव इस साल जुलाई में होगा।
मोदी ने कथित रूप से कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी के लिए राष्ट्रपति का पद उनकी तरफ से ‘गुरुदक्षिणा’ होगा। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केशूभाई पटेल और लालकृष्ण आडवाणी उपस्थित थे। विधान सभा चुनाव नतीजों के बाद अब आडवाणी का नाम फाइनल माना जा रहा है।
दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत ने भारतीय जनता पार्टी के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी को राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए अधिक पापड़ नहीं बेलने पड़ेंगे वहीं बीजेपी अपने पसंद से राष्ट्रपति चुन सकेगी।
सोमनाथ से ही मोदी का नेशनल करियर शुरू हुआ था। 1990 में आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा शुरू की थी, तब उन्होंने अपने सारथी के रूप में मोदी को प्रोजेक्ट किया था। मोदी को गुजरात का सीएम बनवाने में भी आडवाणी का अहम रोल था। 2002 के गुजरात दंगों को लेकर मोदी से जब अटल बिहारी वाजपेयी नाराज हुए थे, तो उस वक्त भी आडवाणी ने मोदी का बचाव किया था।
आडवाणी और मोदी की सोमनाथ में हुई मुलाकात कई मायनों में अहम है। मोदी को गुजरात का सीएम बनवाने में भी आडवाणी का अहम रोल था। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त जब मोदी को पीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया गया, तब आडवाणी ने ही विरोध शुरू किया था। इसके बाद भी मोदी पीएम बन गए। तभी से आडवाणी ने मौन साध लिया। माना गया कि दोनों के बीच उसी के बाद से एक अनडिक्लेयर्ड कोल्ड वार शुरू हो गया था।
यूपी समेत 5 राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद आडवाणी ने सुलह की पॉलिसी को अपना लिया। 1990 में आडवाणी ने सोमनाथ की रथयात्रा शुरू की थी, तब मोदी 3 दिन पहले ही सोमनाथ पहुंच गए थे। उस वक्त वे आडवाणी के सारथी के रोल में थे। पर अब वक्त बदल गया है। 8 मार्च को मोदी सोमनाथ पहुंचे, उससे पहले ही 7 मार्च को आडवाणी सोमनाथ पहुंच चुके थे।
राष्ट्रपति के चुनाव में वोटों की वैल्यू 10,98,882 है। 5.49 लाख वोट चाहिए राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए। बीजेपी अलायंस के पास 4.57 लाख वोट हैं। यानी 92 हजार और वोटों की जरूरत है। बीजेपी को 5 राज्यों में जीती गई सीटों से 96508 वोट वैल्यू मिलेगी। इनमें से अकेले यूपी असेंबली के वोटों की वैल्यू 67600 है।
इस प्रकार यूपीए-थर्ड फ्रंट मिलकर भी एनडीए के बराबर नहीं होंगे। बीजेपी की पसंद का राष्ट्रपति बनना तय है क्योंकि 5 राज्यों के नतीजों ने उसे जरूरी वोट उपलब्ध करा दिए हैं।