नई दिल्ली। ‘बह गई उस काल एक ऐसी हवा। वह समुन्दर ओर आई अनमनी। एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला। वह उसी में जा पड़ी मोती बनी। किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें। बूँद लौं कुछ और ही देता है कर।’ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की कविता ‘एक बूँद’ की ये पंक्तियां एक मछुआरे के साथ चरितार्थ हुई हैं। उसे जो फिलिपींस के पालावान आईलैंड के किनारे दुनिया का सबसे बड़ा मोती मिला है। यह मोती अभी तक के सबसे बड़े माने जाने वाले मोती से भी पांच गुना बड़ा है, जो 2.2 फुट लंबा और एक फुट चौड़ा है। इसका वजन करीब 34 किलोग्राम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 670 करोड़ रुपये बताई जा रही है। उसे यह मोती 10 साल पहले मिला था।
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, शख्स के नाम का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन वह पेशे से मछुआरा है। उसने मोती को फिलीपीन्स के एक टूरिस्ट अफसर को दिखाया, तो इसके राज से पर्दा हट सका। 2006 में मछुआरा अपनी नाव में सफर कर रहा था। उसने अपनी नांव के लंगर को नीचे फेंका तो वह किसी चीज में अटक गया। लंगर उठाकर देखा तो विशालकाय मोती अपनी खोल के साथ फंसा हुआ है। मछुआरा खोल समेत मोती को घर ले आया। हालांकि, उसे मोती के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने इसे भाग्यशाली पत्थर समझकर अपने बिस्तर के नीचे रख दिया।
आमतौर पर किसी भी मोती का आकार एक से 3 सेंटीमीटर तक का होता है, लेकिन यह मोती 26 इंच लंबा और 12 इंच चौड़ा है। पहले यह रिकॅार्ड पर्ल ऑफ अल्लाह के नाम था, जिसकी कीमत 4 करोड़ डॉलर (260 करोड़ रुपये) है। मछुआरे को नहीं पता था कि यह इतना कीमती होगा और उसने मोती को शुभ मानकर 10 साल तक अपने घर में रखा। मगर इस साल उसके घर में आग लग गई, जिसके बाद यह मोती दुनिया के सामने आ पाया। अब फिलीपीन्स के अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि इस मोती को अपने पास रखेंगे जिससे अधिक से अधिक टूरिस्ट इसे देखने के लिए यहां आएंगे। मछुआरे को इतना ही लग रहा था कि इस चीज के मिलने से उसकी किस्मत अच्छी हो सकती है, लेकिन इसके दाम के बारे में उसे अंदाजा तक नहीं था।