लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नाराजगी के शिकार उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव की बर्खास्तगी के साथ ही समाजवादी पार्टी(सपा) के कई वरिष्ठ नेताओं में कुछ समय से जारी शीतयुद्ध खुल कर सामने आ गया है। पार्टी का यह महाभारत माफिया सरगना से नेता बने मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल (कौएद) का विलय समाजवादी पार्टी में किए जाने से शुरू हुआ, क्योंकि विपक्ष को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सत्तारूढ़ सपा को निशाना बनाने का मौका मिल गया था। हालांकि वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि उन्होंने पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की इजाजत से ही कौएद का सपा में विलय कराया था और इस मुद्दे पर पार्टी में सबकुछ ठीक चल रहा है।
दरअसल, सपा को उम्मीद थी कि इस विलय से उसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, खासकर गाजीपुर, मउ और वाराणसी में मुस्लिम वोट हासिल करने में मदद मिलेगी। सपा प्रवक्ता और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि दो विधायकों वाली कौएद का सपा में विलय होने से सत्तारूढ़ पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही मजबूत हो जाएगी।
उधर, कौएद के अध्यक्ष अफजल अंसारी ने कहा-हमने विलय किया है क्योंकि विधानसभा चुनाव में हम वोटकटवा का काम नहीं करना चाहते। मुख्तार अंसारी और सिबगतउल्लाह अंसारी कौमी एकता दल के विधायक हैं। दोनों अफजल के भाई हैं और तीनों ने 2010 में पार्टी की स्थापना की थी।
दिलचस्प यह है कि शिवपाल यादव ने कहा था कि कौएद विधायक मुख्तार अंसारी उन नेताओं में नहीं हैं जो सपा में शामिल हुए हैं। अभी यहां मौजूद सभी लोग सपा में शामिल हो रहे हैं। मुख्तार से अभी कोई बात नहीं हुई है। पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में जेल में बंद माफिया सरगना मुख्तार अंसारी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में फैसला बदल लिया था।
इस विलय के तुरंत बाद विपक्ष ने सपा पर निशाना साधा। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा- यह 2017 के चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल की बेचैनी को प्रदर्शित करता है। इससे पहले सपा ने बेनी प्रसाद वर्मा और अमर सिंह को शामिल किया जो मुलायम सिंह यादव के खिलाफ विषवमन करते थे और अब उन दलों से गठजोड़ किया जा रहा है जिनसे पहले के चुनावों में पार्टी दूर रही थी।
मुख्तार से बातचीत न होने के शिवपाल के बयान पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा-दो विधायकों वाली पार्टी में किस प्रकार एक विधायक शामिल हो सकता है और दूसरा नहीं। कांग्रेस प्रवक्ता डीपी सिंह ने भी सपा पर निशाना साधा और कहा कि विलय से सत्तारूढ पार्टी की ‘बढ़ती हताशा’ परिलक्षित होती है। उन्होंने दावा किया कि पार्टी ‘येन केन प्रकारेण’ सत्ता में बने रहना चाहती है।
विपक्षी दल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर राज्य में ‘गुंडाराज’ को संरक्षण देने का आरोप लगाते रहे हैं। एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर पार्टी कार्यकर्ता काम करें तो किसी दल की जरूरत नहीं है। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय के कुछ घंटों के अंदर ही यूपी सरकार बाहुबली विधायक पर इस कदर मेहरबान दिखी कि उसे बीमारी का बहाना बना कर आगरा जेल से लखनऊ जेल भेज दिया।
दरअसल, आगरा सेंट्रल जेल में कैद मुख्तार अंसारी हमेशा लखनऊ जेल में रहने के लिए कोई न कोई जुगत निकालते रहे हैं। सपा में उनकी पार्टी कौमी एकता दल के विलय होने के साथ ही मुख्तार की मुराद लखनऊ जेल में रहने की पूरी हो गई।
जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा के मुताबिक, एक माह पहले मुख्तार अंसारी ने महानिरीक्षक कारागार को आगरा जेल से लखनऊ जेल भेजे जाने के लिए आग्रह किया था। मुख्तार ने महानिरीक्षक को बताया था कि उन्हें लखनऊ में अपना इलाज कराना है, इसलिए उन्हें लखनऊ जेल भेज दिया जाए। प्रशासन को मुख्तार के बीमार होने की बात प्रमाणित भी की गई। उसके बाद मुख्तार को लखनऊ जेल भेज दिया गया। मुख्तार को लखनऊ जेल भेजे जाने पर विपक्षियों ने अखिलेश सरकार पर हमला तेज कर दिया।