बीएमसी चुनाव के नतीजों से साफ़ हो गया है कि नोटबंदी जैसे निर्णयों के बावजूद जनता शिवसेना और भाजपा जैसे विकल्पों को चुन रही है।
मुंबई के अलावा ठाणे, पुणे, पिंपरी-चिंचवड, नासिक, उल्हासनगर आदि 10 महानगर पालिका और 25 ज़िला परिषद के नतीजे देखने के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि शहरी इलाकों में भाजपा का ज़ोर कायम है। कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस न केवल शहरों से उखड़ गई है, बल्कि पश्चिमी महाराष्ट्र जैसे अपने गढ़ में भी उन्होंने जनाधार खो दिया है।
227 सीटों में से 226 सीटों के नतीजे आ गए हैं। 84 सीटों के साथ शिवसेना ने मुंबई के गढ़ को बचाने में कामयाबी हासिल की है। वहीं, बीजेपी के खाते में 81 सीटें आई हैं। कांग्रेस को महज 30 सीटें मिली हैं। नतीजों को देखते हुए कांग्रेस की मुंबई इकाई के अध्यक्ष संजय निरुपम ने इस्तीफा दे दिया है।
वहीं राज्य में बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी कार्यकर्ताओं को बधाई दी है। हार ने नाराज कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर लोगों पर गुस्सा निकाला है।
मुंबई शहर से कांग्रेस पार्टी मानो पूरी तरह से साफ हो गई है। महाराष्ट्र में अब दो साल बाद लोकसभा के चुनाव होंगे। 10 साल पहले जिस मुंबई ने कांग्रेस को लोकसभा की छह में से छह सीटें दी थीं, उसी मुंबई में कांग्रेस को उभरने के लिए अब कड़ी मेहनत करनी होगी।
जहां-जहां कांग्रेस का सामना भाजपा से होता है, वहां-वहां उसे विजय प्राप्त होती है। गैर-कांग्रेसी स्थानीय दलों के सामने ही भाजपा को हार मिलती है। इस थ्योरी को मुंबई और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों ने और भी मज़बूत किया है।