नई दिल्ली। सांप्रदायिक ताकतों के हालिया हमलों पर दुख जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। उत्तर प्रदेश के दादरी के बिसहड़ा कांड, मुंबई व पुणे में पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का कंसर्ट रद्द होने और मुंबई में पाक के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब के विमोचन के विरोध में सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर स्याही पोते जाने की घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का इनसे कोई लेना देना नहीं हैं। बांग्ला अखबार आनंद बाजार पत्रिका को दिए इंटरव्यू में मोदी ने विपक्ष पर संप्रदायवाद का हौव्वा खड़ा करने का भी आरोप लगाया।
सांप्रदायिक रंग देने में लगा विपक्ष
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाओं का न तो भाजपा और न ही उनकी सरकार कभी समर्थन करती है। अल्पसंख्यकों का वोट हासिल करने के लिए विपक्ष इस मसले को सांप्रदायिक रंग देने में लगा है। ऐसे मुद्दे उठाकर विपक्ष ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहा है। भाजपा की नीति सबको साथ लेकर सबका विकास करने की है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया पर ट्वीट किया, यदि मोदी दादरी की घटना से दुखी हैं तो जिन भाजपा नेताओं ने इस घटना का अप्रत्यक्ष समर्थन किया है उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते?
मालूम हो कि 28 सितंबर को दिल्ली से सटे दादरी के पास बिसहड़ा गांव में गोमांस खाने की अफवाह फैलने के बाद भीड़ ने गांव के एक मुस्लिम परिवार पर हमला कर दिया था। इस घटना में परिवार के मुखिया अखलाक की मौत हो गई और उसका बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया। सुर्खियों में आने के बाद इस घटना पर बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीति तेज हो गई। सभी दल इस मुद्दे पर अपने अपने तरीके से राजनीतिक रोटियां सेंकने लगे। हर छोटे-बड़े मसले पर मन की बात कहने वाले प्रधानमंत्री की इस मसले पर चुप्पी ने विपक्ष को हमलावर होने का और मौका दे दिया। हालांकि, पिछले हफ्ते बिहार में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने लोगों से अपील की थी कि हिंदुओं और मुस्लिमों को एक दूसरे से लड़ने की बजाय गरीबी से लड़ना चाहिए।
मोदी ने कहा कि पहले भी इस प्रकार की बहस होती रही है। भाजपा ने हमेशा छद्म धर्मनिरपेक्षता का विरोध किया है। अब फिर से दुर्भाग्यपूर्ण सामाजिक बेचैनी के बीच इस प्रकार की बहस हो रही है। इस बहस को बातचीत और विचार विमर्श के जरिए सुलझाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में एकजुटता बेहद जरूरी है। देश का विकास सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे से ही संभव है।
किसने क्या कहा
कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “मोदी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. पीएम कहते हैं एक बनो नेक बनो, जबकि इनके सहयोगी सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं और करवाते हैं। इस पर पीएम का पूरा सहयोग है।”
सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि पीएम ने लाल किले से कहा था कि इस तरह के मुद्दों पर दस साल तक बात नहीं होगी। लेकिन जब संगीत सोम, आरएसएस के लोग ऐसी बातें करते हैं, कलबुर्गी की हत्या होती है पीएम खामोश क्यों रहते हैं? दिल्ली से चंद मील की दूरी पर स्थित दादरी की घटना पर बोलने में उन्हें 15 दिन क्यों लग गए?
भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली से जब पूछा गया कि क्या यह पीएम की लाचारगी है तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई लाचारगी नहीं है। जो काम केंद्र के दायरे में आएगा केंद्र करेगा। जो राज्य के दायरे में हैं, प्रधानमंत्री संविधान से इतर जाकर उसमें हस्तक्षेप तो नहीं करेंगे। उन्होंने बार-बार कहा है कि वे देश के सवा सौ करोड़ लोगों के पीएम हैं।