बीजिंग।
नवाज शरीफ के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे की वजह से 50 अरब अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को कुछ अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है। फिर भी दोनों देशों के सदाबहार द्विपक्षीय रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में विशेषज्ञों ने बताया दोनों देशों के संबंधों में नवाज के इस्तीफे का कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए परेशानियां खड़ी हो सकती हैं।
‘ग्लोबल टाइम्स’ में बृहस्पतिवार को छपे एक लेख के मुताबिक, पाकिस्तान के राजनीतिक दलों में इस परियोजना को लेकर कुछ असहमतियां हैं। खासकर इस बात पर कि परियोजना के पूर्वी मार्ग को प्राथमिकता दी जाए या पश्चिमी मार्ग को।
पंजाब और सिंध जैसे आर्थिक रूप से विकसित प्रांत इसके पूर्वी मार्ग से जुड़े हैं जबकि इसका पश्चिमी मार्ग खैबर पख्तूनवा और बलूचिस्तान जैसे अल्पविकसित प्रांतों से गुजरता है।
नवाज शरीफ पूर्वी मार्ग का समर्थन करते थे, लेकिन विपक्षी दल पश्चिमी मार्ग का। इसके मद्देनजर अगर 2018 के चुनावों में सत्तारूढ़ दल में बदलाव होता है तो सीपीईसी परियोजना को कुछ अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।
अगर पीएमएल-एन या पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल की तो नवाज शरीफ के हटने की वजह से होने वाला असर कम हो जाएगा क्योंकि पंजाब और सिंध दोनों ही पार्टियों के राजनीतिक केंद्र हैं। लेकिन अगर तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी चुनाव जीती तो उसकी प्राथमिकता पश्चिमी मार्ग होगा।
इसके अलावा, विपक्षी पार्टियों को इस परियोजना को लेकर पीएमएल-एन पर पर्दे के पीछे से डील करने का संदेह है। लिहाजा अगर कोई विपक्षी पार्टी सत्ता में आई तो इस परियोजना की कुछ प्रक्रियाओं की समीक्षा से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
लेख में ये भी लिखा है कि नवाज सरकार सीपीईसी प्रोजक्ट के लिए सकारात्मक रूख अपनाए हुई थी। पाकिस्तान में पंजाब और सिंध प्रांत पूर्वी रूट पर हैं जो आर्थिक रूप से विकसित हैं। वहीं पश्चिमी रूट कम विकसित खैबर पख्तून से होकर गुजरेगा।
इस कड़ी में नवाज सरकार पूर्वी रूट का समर्थन कर रही थी लेकिन पाक के विपक्षी दल पश्चिमी रूट के समर्थन में आ खड़े हुए हैं, जिसकी वजह से चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट पर पानी फिरता नजर आ रहा है।