ओपिनियन पोस्ट। ‘काहे के प्रधान सेवक, प्रधान सेवक होते तो हमसे मिलने आ जाते। हम तो गांव-देहात से दिल्ली तक आ गये और वो जंतर-मंतर तक भी नहीं आ पाये।’ एटा जिले से आई अंगूरी देवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न केवल जुमलेवाजों का सरदार कहती हैं बल्कि यह भी कहती हैं, ‘कभी उनका उड़न खटोला हमारे गांव भी उतरे तो देखे हवाई दौरे और हवाई वादों की जमीनी सच्चाई क्या है?’ एटा जिले से करीब ढाई सौ महिला और पुरुष अपनी मांगों को लेकर जंतर मंतर पहुंचे।
झांसी के शिवनारायण सिंह परिहार भी बुंदेलखंड के किसानों की मांगों को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं। उन्होंने बताया हमारे बुंदेलखंड में पानी का संकट सबसे बड़ा संकट है। हर गांव में औसतन दो तालाब हैं। लेकिन ज्यादातर कब्जे में हैं। इन्हें कब्जा मुक्त कराया जाये और खनन को सख्ती से रोका जाये। दूसरा बड़ा संकट है, खनन। न जाने कितने मजदूर खनन की भेंट चढ़ चुके हैं। अवैध खनन बेखौफ जारी है। इनके साथ बुंदेलखंड से दो सौ से भी ज्यादा किसान दिल्ली पहुंचे।
दो बीघा खेती के मालिक सुरेंद्र सिंह कन्नौज से दिल्ली उम्मीद लेकर आये थे कि शायद दिल्ली की सरकार उनका दर्द बांटेगी। मगर सुबह से शाम हो गई कोई नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा छोटा किसान तो दिहाड़ी मजदूर से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है।
हां, उनके बीच से एक प्रतिनिधि मंडल को मिलने की अनुमति मिली। लेकिन यह मुलाकात केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन जी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक ही सीमित रही। प्रतिनिधि मंडल में शामिल शिव नारायण सिंह परिहार ने बताया कि कृषि मंत्री जी कहीं बाहर गये थे। वह कल लौटेंगे। इसलिये उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी अशोक जी से मुलाकात हुई है। उन्होंने हमारी मांगों को मंत्री जी तक पहुंचाने का भरोसा दिया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान भी यहां पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन (भानू) के जिला संगठन मंत्री राजू पीनना ने बताया पूरे देश का किसान इस समय परेशान है। मोटे तौर पर हमारी दो मांगे हैं। पहली, गेहूं की कीमत 1650 से बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति कुंटल की जाये। गन्ने की कीमत 310 से बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिकुंटल की जाये।
इसी धरने में आईं शमशीदा ने बताया कि हमारे पास कोई खेती नहीं है। दूसरे के खेतों में काम करते हैं। विधवा हैं। सरकारी आवास में नाम आया तो लगा कि अब कम से कम अपना घर तो मिलेगा। लेकिन पहली किस्त के बाद पैसा नहीं आया। अब अधिकारी कहते हैं कि ऊपर से पैसा नहीं आ रहा। जब आय़ेगा तो मिलेगा। ऊपर वाली सरकार और ऊपर वाला भगवान दोनों ही किसान से इतने खफा क्यों हैं? आखिर किसान की कौन सुनेगा?