नरेंद्र मोदी जब पीएम बने तब नितिन भाई पटेल की चर्चा संभावित मुख्यमंत्री के रूप में हो रही थी। फिलहाल वह उपमुख्यमंत्री हैं। चुनाव से संबंधित कई मुद्दों पर अभिषेक रंजन सिंह से उनकी बातचीत।
जीएसटी के मुद्दे पर एक कांग्रेस केंद्र सरकार पर हमला कर रही है वहीं दूसरे मोर्चे पर आपकी सरकार हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश से जूझ रही है। क्या वाकई इस बार भाजपा के लिए चुनौतियां बड़ी हैं?
राजनीति और चुनावों में अगर चुनौतियां न हों तो बात नहीं बनती। भारतीय जनता पार्टी अपने स्थापना काल से लेकर आज तक संघर्ष और चुनौतियों का सामना कर रही है। जनसंघ के जमाने से हमारी पार्टी संघर्षरत है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने हमारे कार्यकर्ताओं को हमेशा सतत संघर्ष करने की सीख दी। जीएसटी और पाटीदार आंदोलन के मुद्दे पर कांग्रेस सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है। नोटबंदी को लेकर भी राहुल गांधी की ड्रामेबाजी को लोगों ने देखा। लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे ने नोटबंदी पर सरकार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। गुजरात चुनाव में अब राहुल गांधी जीएसटी का शिगूफा छोड़ रहे हैं क्योंकि गुजरात में भाजपा सरकार के विरोध में उनके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है। बिजली, पानी, सड़क, चिकित्सा और सुरक्षा के मामले में वे हमारा मुकाबला नहीं कर सकते। इसलिए जीएसटी और पाटीदार आरक्षण आंदोलन के मुद्दे को उछाल रहे हैं। प्रारंभ में जीएसटी लागू होने से कठिनाइयां हो रही हैं। लेकिन इसका समाधान भी जल्द हो जाएगा। गुजरात में कांग्रेस की अपनी कोई ताकत नहीं है। इसलिए उन्हें भाड़े के नेताओं की जरूरत पड़ रही है।
कांग्रेस का दावा है कि उसे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का लाभ मिलेगा और दो दशकों बाद सत्ता में वापसी करेगी?
एंटी इनकंबेंसी फैक्टर सुनने में तो काफी अच्छा लगता है। चुनाव में यह फैक्टर उन राज्यों में लागू होता है जहां जनता की आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया गया हो। गुजरात की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी दो दशकों से है। पूर्व की सरकारों में हुए कामकाज की समीक्षा करें और हमारी सरकार की। आपको साफ अंतर दिखेगा। आज गुजरात विकास का एक प्रतीक बन चुका है। देश के कई राज्यों में आज भी बिजली, सड़क, स्कूल और अस्पताल चुनावी मुद्दे होते हैं, लेकिन गुजरात में इन बुनियादी जरूरतों को काफी पहले पूरा किया जा चुका है। गुजरात की जनता समझदार है। उसने कांग्रेस के दौर भी देखे और बीस वर्षों से भाजपा की सरकार भी। आज केंद्र में नरेंद्र भाई मोदी के नेतृत्व में एक कुशल सरकार चल रही है। जनता राज्य में भी भाजपा की ही सरकार चाहती है ताकि केंद्र के साथ मिलकर गुजरात और अधिक तरक्की कर सके।
उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र पाटीदार बहुल इलाके हैं और यहां भाजपा की जीत की बड़ी वजह है पाटीदारों का साथ। क्या आरक्षण आंदोलन से आपके इस परंपरागत वोटबैंक को नुकसान पहुंचा है?
भाजपा के इस स्नेह मिलन कार्यक्रम को आप देख रहे हैं। हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं की भीड़ यहां जुटी है। पाटीदार समाज के सैकड़ों लोग जो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में शामिल थे उन्होंने भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी की सदस्यता ली। हार्दिक पटेल उन्माद की राजनीति करते हैं और ऐसी राजनीति किसी भी समाज के लिए घातक है। गुजरात में पाटीदार समाज और भाजपा के बीच अटूट संबंध है। जबकि कांग्रेस ने पाटीदारों को जख्म दिया है। अपने बल पर चुनाव में वह भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकती। इसलिए हार्दिक जैसे नौजवानों के जरिए वह अपना हित पूरा करना चाहती है। पाटीदार समाज आरक्षण आंदोलन की आड़ में होने वाली गंदी राजनीति को समय रहते समझ चुका है। लिहाजा गुजरात चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति होनी तय है। इस बार भाजपा माधव सिंह सोलंकी के 149 सीटों वाले रिकॉर्ड को तोड़ेगी।
आपका यह दावा ठोस तर्कों पर आधारित है या फिर अति आत्मविश्वास का नतीजा?
गुजरात के विकास कार्यों से हमारी सरकार संतुष्ट है। यही वजह है कि प्रदेश की जनता हमें लगातार आशीर्वाद दे रही है। मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र भाई ने जिस तरह गुजरात की सेवा की। प्रधानमंत्री बनने के बाद उसी निष्ठा-भाव से वह देश की सेवा कर रहे हैं। कांग्रेस के शासन में साजिश का शिकार बनी सरदार सरोवर परियोजना को प्रधानमंत्री मोदी ने पूरा किया। गुजरात में कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत हैं। 2007 में गहलोत जब राजस्थान के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने उत्तर गुजरात की सुजलाम्-सुफलाम् सिंचाई परियोजना में अड़चनें पैदा कीं। जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने इस अहम परियोजना के लिए 6000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की। कांग्रेस और अशोक गहलोत की वजह से उत्तर गुजरात के किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने गुजरात और यहां की जनता को अनगिनत कष्ट दिए हैं, जिसका सूद समेत उत्तर इस चुनाव में राज्य की जनता देगी। मैं फिर दोहराना चाहूंगा कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक जीत दर्ज करेगी।
गुजरात भाजपा में आपकी गिनती बड़े पाटीदार नेताओं में होती है। माना जा रहा है कि आरक्षण आंदोलन से उपजे हालात के बाद सूबे की कमान आपको दी जा सकती है?
यह कयासों से अधिक कुछ नहीं है। भारतीय जनता पार्टी एक कार्यकर्ता प्रधान पार्टी है। कांग्रेस और दूसरी पार्टियों की कार्य संस्कृति से हमारी पार्टी पूरी तरह अलग है। यह कहना गलत है कि पाटीदार आंदोलन की वजह से भाजपा पटेलों को लेकर ज्यादा गंभीर है। अनामत आंदोलन तो हाल की घटना है। लेकिन भाजपा में पाटीदार समुदाय की भागीदारी तो वर्षों से है। हमारी मौजूदा राज्य सरकार में सात मंत्री पाटीदार समुदाय से हैं। विधानसभा में कुल 47 पाटीदार सदस्य हैं, जिनमें सर्वाधिक संख्या भाजपा विधायकों की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री पाटीदार समुदाय से हैं। केंद्र सरकार में कई मंत्री भी इसी समुदाय से हैं। भाजपा कांग्रेस की तरह एक जाति विशेष की राजनीति नहीं करती। हमारी पार्टी और सरकार सबका साथ-सबका विकास के मूलमंत्र पर काम करती है। कांग्रेस गुजरात में 1985 के खाम समीकरण की तर्ज पर माहौल बनाने का सपना देख रही है। गुजरात की जनता इससे सतर्क है।
आपकी सरकार जनता की कसौटी पर पूरी तरह खरी उतरी है फिर कई भाजपा विधायकों के टिकट कटने की चर्चा क्यों आम है?
किसी सिटिंग एमएलए का टिकट कटने के पीछे कई सारी वजहें होती हैं। सिर्फ उनके प्रदर्शन के आधार पर टिकट नहीं कटता। भाजपा में टिकटों का वितरण और विधायकों के कार्यों की समीक्षा करने का तरीका दूसरी पार्टियों से अलग है। गुजरात चुनाव में उम्मीदवारों के टिकटों का फैसला बहुत जल्दी हो जाएगा। एक-एक सीट पर काबिल प्रत्याशियों को लड़ाया जाएगा। कई मौजूदा विधायकों को दूसरे क्षेत्रों से भी लड़ाया जा सकता है।