सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर किसी फिल्म या डॉक्यूमेंट्री में राष्ट्रगान बजता है तो उस दौरान दर्शकों को खड़े होने की जरूरत नहीं है। न ही इस दौरान किसी को खड़े होने के लिए मजबूर किया जा सकता है। हालांकि लोगों को सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले बजाए जाने वाले राष्ट्रगान पर खड़ा होना पड़ेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर बहस होना जरूरी है।
जस्टिस दीपक मिश्रा और आर. भानुमति की बेंच ने राष्ट्रगान पर पिछले साल नवंबर में दिए अपने अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि बेच ने साफ किया, “जब राष्ट्रगान फिल्म की स्टोरीलाइन, न्यूजरील या डॉक्यूमेंट्री के तहत बजे तो उस पर खड़े होना जरूरी नहीं है।” बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मसले पर बहस चाहते हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।
पिछला आदेश रद्द करने की मांग
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवंबर 2016 को आदेश दिया था कि सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना होगा। इस दौरान स्क्रीन पर तिरंगा नजर आना चाहिए। साथ ही राष्ट्रगान के सम्मान में सिनेमा हॉल में मौजूद सभी लोगों को खड़ा होना होगा। सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को लेकर कई याचिका दायर की गई हैं जिनमें इसे वापस लेने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश अधिकारों का हनन करता है। कोर्ट को सिनेमा जैसे मनोरंजन की जगहों पर इसे लागू नहीं करना चाहिए।बता दें कि हाल ही में मुंबई में दंगल फिल्म के एक सीन में राष्ट्रगान बजने पर एक बुजुर्ग नहीं उठे तो उनकी सिनेमा हॉल में पिटाई कर दी गई थी। इसी तरह मुंबई के ही एक सिनेमा हॉल से मुस्लिम परिवार को बाहर निकाल दिया गया था। उनके साथ बदसलूकी की गई थी। अक्टूबर में गोवा के एक सिनेमा हॉल में दिव्यांग लेखक सलिल चतुर्वेदी के साथ भी मारपीट की गई थी। इन लोगों पर सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजते वक्त बैठे रहने का आरोप था।
पहले भी सिनेमा घरों में बजता था राष्ट्रगान
1960 के दशक में भारत में सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाने की शुरुआत हुई। ऐसा सैनिकों के सम्मान और लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने के लिए होता था।हालांकि बाद में शिकायतें हुईं कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान का अपमान होता है। इसके बाद करीब 40 साल पहले सरकार ने इसे बंद करवा दिया था। 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए नियम बनाया, जिसके तहत सिनेमा हॉल में मूवी से पहले राष्ट्रगान बजाना और इस दौरान लोगों का खड़े रहना जरूरी किया गया।
बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का समर्थन किया है। मामले में कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ये सवाल देश के नागरिकों की देशभक्ति की भावना दिखाने का है। जब इसे लेकर कोई कानून नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश अहम हो जाता है। राष्ट्रगान को सिनेमाघरों के अलावा सभी स्कूलों में जरूरी किया जाए क्योंकि देशभक्ति की भावना की शुरुआत बच्चों से की जानी चाहिए।
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