संध्या द्विवेदी।
‘मौलाना, मौलवी अब तर्क में नहीं जीत पा रहे तो उनके गुंडे हम पर हमला कर रहे हैं।’ सामाजिक कार्यकर्ता नाइशा हसन ने बताया कि हुसैनाबाद में उन पर और उनके साथ मौजूद पांच औरतों पर हमला किया गया। गालियां दी गईं। हमलावर लगातार कह रहे थे, तुम इस्लाम को बदनाम करने वाली औरते हों, रंडियां हो, बिकी हुई हो।
दरअसल तलाक पीड़ित यह पांचों औरतें एक कार्यक्रम के दौरान एक टीवी चैनल की पत्रकार को इंटरव्यु दे रहीं थीं। वह अपनी आपबीती इस चैनल के साथ साझा कर रही थीं। तभी 50-60 लोग आये और इन औरतों के खिलाफ नारेबाज शुरू कर दी। रोकने पर औऱतों के साथ हाथापाई की। कपड़े फाड़ दिये, उनके बाल खींचे। नाइशा हसन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में इंसाफ करने और महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा देने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि जब महिलायें लखनऊ में सुरक्षित नहीं हैं तो फिर उत्त प्रदेश के दूसरे हिस्सों में उनका क्या हाल होगा?
महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं को कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिये। ये महिलाओं के हक का मसला है, इसमें धर्मगुरुओं की बात नहीं मानी जानी चाहिये। दरअसल केंद्र सरकार कॉमन सिविल कोड के तहत मुस्लिम विवाह और तीन तलाक जैसे मसले लाने की तरफ कदम बढ़ा चुकी है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में भी कॉमल सिविल कोड लागू करने की घोषणा की थी।
उधर मौलावियों का कहना है, सरकार द्वारा तलाक जैसे मसलों पर रायशुमारी के लिये जारी किये गये फार्म भरवाकर कोर्ट में जमा कर दिये हैं। इन धर्मगुरुओं का कहना है कि मुस्लिम औरतें शरियत के खिलाफ नहीं हैं। वह सिविल कोड के समर्थन में नहीं है। दूसरी तरफ मुस्लिम महिला संगठनों ने इस रायशुमारी पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि दरअसल यह फार्म महिलाओं से जबरदस्ती और डर दिखाकर भरवाये गये हैं।