ओपिनियन पोस्ट।
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे से जिन लोगों के नाम छूटे थे उनमें फील्ड लेवल अफसर मोइनुल हक तक शामिल हैं, जिन्होंने खुद रजिस्टर में लोगों के नाम तस्दीक कराने के बाद दर्ज कराए थे। उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगाह किया है कि इस मुद्दे पर बांग्लादेश के साथ भारत का संबंध बिगड़ सकता है। दूसरी ओर ममता की पार्टी में ही बगावत के बाद असम में टीएमसी के दो नेताओं ने पार्टी छोड़ दी।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि असम में उदलगुडी जिले के एक शिक्षक का नाम भी एनसीआर के अंतिम मसौदे में नहीं है। अन्य लोग जो छूटे हैं उनमें आर्मी जवान, सीआईएसएफ हेड कांस्टेबल, एजी ऑफिस के गजटेड अफसर और असम पुलिस स्पेशल ब्रांच के एक एसआई तक शामिल हैं। एएसआई मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की सुरक्षा में शामिल हैं। वह पूर्व सीएम तरुण गोगोई के भी सुरक्षा दस्ते का हिस्सा थे।
29 वर्षीय सिपाही इनेमुल हक बारपेटा जिले के रहने वाले हैं और इस समय उनकी पोस्टिंग उत्तराखंड में आर्मी सर्विस कॉर्प में है। उनका भी नाम मसौदे से गायब है, लेकिन परिवारवालों के नाम शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मेरे बड़े भाई का फोन आया था- मेरा नाम मसौदे में नहीं है। मैं एक सिपाही हूं, मैं कैसे भारतीय नागरिक नहीं हो सकता?
सैदुल्लाह अहमद भी नाम न आने से घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा- मुझे उम्मीद है कि मेरा नाम शामिल हो जाएगा। वह इंडियन एयरफोर्स में टेक्निशियन थे और इस समय गुवाहाटी स्थित एजी ऑफिस में असिस्टेंट ऑडिट ऑफिसर (गजटेड) पद पर तैनात हैं।
उन्होंने बताया-मेरे पिता मोबिद अली का नाम 1951 के एनआरसी में है। 1958 और 1967 के भूमि रिकॉर्ड में भी उनका नाम दर्ज है। साथ ही 1971 में बनी वोटर लिस्ट में भी है। इसके बावजूद मेरी बहन बारपेटा को 2012 में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने विदेशी करार दिया था। इससे संबंधित केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इनकी तरह ही सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल उस्मान गनी का भी नाम मसौदे में शामिल नहीं है।
ममता बनर्जी ने कहा है कि उन्होंने असम में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए सभी विपक्षी दलों से अपील की है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि उन्होंने बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा से भी राज्य का दौरा करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के बहुत अच्छे संबंध है।
असम के एनआरसी मुद्दे का विरोध करना टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को महंगा पड़ता नजर आ रहा है, क्योंकि एनआरसी के ड्राफ्ट में अवैध पाए गए 40 लाख लोगों के पक्ष में खड़ी ममता बनर्जी की पार्टी में बगावत हो गई है।
टीएमसी छोड़ने वाले नेता दिगंत सैकिया और प्रदीप पचोनी ने कहा कि ममता बनर्जी को एनआरसी की वास्तविक सच्चाई पता नहीं है। बिना किसी जानकारी के उन्होंने एनआरसी की निंदा की है। दिगंत सैकिया ने कहा कि ममता बनर्जी जो कह रही हैं उसमें और असम की जमीनी सच्चाई में काफी अंतर है।